हिंदुस्तान में आपसी भाईचारे की कई मिसालें मिलती हैं. हुसैनी ब्राह्मण भी इसका एक उदाहरण हैं. ये वो हिंदू समुदाय है, जो मुस्लिमों के साथ मुहर्रम मनाता है. वो भी शहादत के इस दिन को याद कर अपनी आंखें नम करते हैं.
हुसैनी ब्राह्मणों का इतिहास बहुत पुराना है और इसके तार महाभारत से जुड़े हैं. कहते हैं कि महाभारत के युद्ध में सिर्फ़ एक ही शख़्स ज़िंदा बचा था, अश्वत्थामा. ये कौरव और पांडवों के गुरू द्रोणाचार्य के पुत्र थे. मान्यताओं के हिसाब से युद्ध के बाद अश्वत्थामा इराक चले गए और वहीं बस गए.
अश्वत्थामा के हैं वंशज
उन्हीं के वंशज आगे चलकर दत्त ब्राह्मण यानि के मोहियाल ब्राह्मण कहलाए. ये ब्राह्मण बहुत बहादुर भी थे. इन्होंने अरब देशो में कई राज्यों को जीता और उन पर राज किया. उन्हीं में से एक थे राजा राहिब सिद्ध दत्त.
इनका कार्यकाल पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन के समय का है. कहा जाता है कि वो इमाम हुसैन के बहुत ही कायल थे. इसकी एक वजह ये भी है कि इमाम हुसैन के आशीर्वाद से ही उन्हें संतान का सुख प्राप्त हुआ था.
कर्बला में हुसैन के लिए लड़े थे
680 ईस्वीं में हुसैन और तब मुसलमानों के प्रमुख खलीफ़ा उम्मय्या वंश के यज़ीद के समर्थकों के बीच युद्ध छिड़ गया. कर्बला में हुई इस लड़ाई में हुसैन अपने पिता और इस्लाम के लिए कुर्बान हो गए.
इसके बाद यज़ीदी सैनिक उनका सिर अपने साथ लेकर दमिश्क (जिसे आज का डमस्कस कहा जाता है) की तरफ़ लौटने लगे. इस बात से राहिब दत्त बहुत आहत हुए और उन्होंने यज़ीदियों से बदला लने की ठानी. वो यज़ीदी सैनिकों से हुसैन का सिर हासिल करने में कामयाब रहे.
जब वो अपनी सेना के साथ आराम कर रहे थे, तब यज़ीदी सैनिकों ने उन पर हमला कर दिया. सैनिकों ने राहिब से हुसैन का सिर वापस करने की मांग की. मगर राहिब ने हुसैन का सिर लौटाने के बजाए अपने एक बेटे का सिर कलम कर उन्हें थमा दिया.
हुसैन के लिए कर दिए थे 7 बेटे कुर्बान
यज़ीदी सैनिकों शक हुआ और उन्होंने फिर से सिर लौटाने की बात कही. तब एक-एक कर के राहिब दत्त ने अपने 7 बेटों को कुर्बान कर दिया. जब यज़ीदी सैनिक नहीं माने तो हुसैन साहिब के ख़ातिर वो उनसे भिड़ गए.
उन्होंने मुख्तार के साथ मिलकर यज़ीदी सैनिकों से हुसैन की मौत का बदला लिया. इमाम हुसैन की मौत और अपने साथ बेटों की कुर्बानी में मोहियाल ब्राह्मणों ने कई दोहे पढ़े थे. तब से ही मुहर्रम के दिन इन दोहों को मुस्लिम और मोहियाल पढ़ते आए हैं.
अभिनेता सुनील दत्त इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं
वर्तमान में हुसैनी ब्राह्मण पाकिस्तान, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र और अरब देशों में रह रहे हैं. ये हर साल मुहर्रम मनाते हैं और हिंदू धर्म को मानते हैं. जहां राहिब दत्त ने अपनी सेना के साथ विश्राम किया था, उसे वर्तमान में इराक के हिंदिया ज़िले के नाम से जाना जाता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मरहूम अभिनेता सुनील दत्त इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं.
एक इंटरव्यू में सुनील दत्त से उनके धर्म के बारे में पूछा गया था. तब उन्होंने इमाम हुसैन द्वारा कुर्बानी से पहले राहिब दत्त को सुल्तान की उपाधी देते हुए जो कहा था वहीं सामने वाले को सुना दिया-
वाह दत्त सुल्तान!
हिंदु का धर्म
मुस्लमान का इमान
आधा हिंदु आधा मुस्लमान!
इस इंटरव्यू को आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं.