अगर किसी को प्लास्टिक के कचरे से छुटकारा पाने का कोई रास्ता मिल जाए, तो ये दुनिया भर के सभी कचरा प्रबंधन (Waste Management) से जुड़ी कई समस्याओं का समाधान हो सकता है. ज़रा सोचिये कि अगर पर्यावरण को प्रदूषित करने के बजाय प्लास्टिक को किसी अन्य उपयोग में लाया जा सके तो शायद इससे बेहतर और कुछ नहीं होगा. और इसी सोच को सही साबित कर दिखाया है, हैदराबाद के एक मकैनिकल इंजीनियर ने.

Deccan Chronicle, के अनुसार, हैदराबाद के मकैनिकल इंजीनियर सतीश कुमार 3-स्टेप रिवर्स इंजीनियरिंग प्रोसेस के इस्तेमाल से वेस्ट प्लास्टिक को ईंधन में बदल रहे हैं. सतीश कुमार ने दावा किया है कि वो बेकार पड़ी प्लास्टिक से पेट्रोल बना सकते हैं. इसके लिए उन्हें केवल 3 स्टेप्स से होकर गुजरना पड़ता है.

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सतीश कुमार 2016 से प्लास्टिक को ईंधन में बदल रहे हैं और अब तक वो अपनी यूनिट में 50 टन प्लास्टिक को ईंधन में बदल चुके हैं. सतीश ने ख़राब हो चुकी प्लास्टिक, जिसका कोई उपयोग नहीं हो सकता है, के इस्तेमाल से डीजल, विमानन ईंधन और पेट्रोल जैसे सिंथेटिक ईंधन का उत्पादन किया है.

आइये अब आपको बताते हैं कि वो ऐसा कैसे करते हैं?

इसके लिए उन्होंने 3-स्टेप रिवर्स इंजीनियरिंग प्रोसेस, जिसे प्लास्टिक पायरोलिसिस कहा जाता है, का यूज़ किया. इस प्रक्रिया में पहले प्लास्टिक को अप्रत्यक्ष रूप से एक Vacuum Environment में गरम किया जाता है और उसके बाद इसे Depolymerization और गैसीकरण प्रक्रियाओं से गुज़ारा जाता है, और अंत में संक्षेपण की प्रक्रिया के माध्यम से निकाला जाता है.

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सतीश के अनुसार, करीब 500 किलोग्राम Non-recyclable प्लास्टिक से लगभग 400 लीटर ईंधन का उत्पादन हो सकता है. ये कृत्रिम ईंधन, जो कि प्रक्रिया के परिणामस्वरूप निर्मित होते हैं, ज्वलनशील तरल पदार्थ होते हैं, जो पेट्रोल के अनुरूप होते हैं, लेकिन बिलकुल उनके जैसे नहीं होते हैं.

सतीश कहते हैं,

– ये एक सरल प्रक्रिया है,जिसके लिए पानी की आवश्यकता नहीं होती है और न ही ये अपशिष्ट किसी तरह का पानी छोड़ता है. इसके साथ ही ये हवा को प्रदूषित भी नहीं करता है क्योंकि ये पूरी प्रक्रिया एक निर्वात में होती है.

– प्लास्टिक से बने इस ईंधन का फायदा है कि ये सल्फ़र या नाइट्रेट का उत्सर्जन या उत्पादन नहीं करता है, बल्कि इस प्रकार से ये सुरक्षित दहन सुनिश्चित करता है.

– PVC और PET प्लास्टिक के अलावा, बाकी किसी भी तरह की प्लास्टिक को ईंधन बनाने के लिए यूज़ किया जा सकता है.

गैर-सरकारी संगठनों और प्लास्टिक का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने वाली कंपनियों से द्वारा मिली प्लास्टिक का उपयोग करके बनाये गए ईंधन को सतीश ने 50 रुपये प्रति लीटर स्थानीय इंडस्ट्रीज़ को बेचा दिया. यहां तक कि बेकरी शॉप भी इस ईंधन का उपयोग अपने बॉयलर में कर रही हैं.

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अब तक, ऑटोमोबाइल में ईंधन का उपयोग करने की योग्यता का सत्यापन अभी तक RTC से लंबित है, जिन्होंने योग्यता रिपोर्ट देने के लिए कंपनी से कहा है.

सतीश को इस प्रयोग के लिए बधाई. ज़रा सोचिये अगर प्लास्टिक से बने इस ईंधन को मान्यता मिल जाती है, तो प्लास्टिक की समस्या से दुनिया को काफ़ी हद तक निजात मिल जायेगी.

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