साल 2020 COVID-19 महामारी के चलते अपनों और सपनों दोनों पर भारी पड़ा. लोगों को घर से बेघर होना पड़ा, खाने के लिए तरस गए यहां तक कि अपनों के प्यार से भी महरूम रह गए. ऐसे टूटे और बिखरे लोगों का इस महामारी के दौरान कई अनजान लोग सहारा बने, जिन्होंने इन ज़रूरमंदों को खाने के साथ-साथ प्यार और अपनापन भी दिया.
Telangana: Dosapati Ramu, human resource executive at a corporate firm in Hyderabad started ‘Rice ATM’ initiative to feed needy during lockdown.
— ANI (@ANI) October 3, 2020
He says,”My friends & I have been providing groceries since 170 days. I’ve used my savings & provident fund money for it.”(3.10.2020) pic.twitter.com/isFiUeMw02
ज़रूरतमंदों के लिए ऐसे ही एक मसीहा हैदराबाद के रामू दोसापति भी बने, जो पेशे से एक एमबीए ग्रेजुएट और एचआर मैनेजर हैं. रामू ने अपने इलाक़े में ज़रूरतमंदों को खाने की बुनियादी चीज़ें देने के अलावा Rice ATM खोलने की ओर एक अनोखा क़दम बढ़ाया. मार्च में लॉकडाउन लगने के बाद से ही रामू कई परिवारों को खाना खिलाने में मदद कर रहे हैं. मेरा मानना है,
किसी को भी भूखा नहीं सोना चाहिए, इसलिए जिस किसी के पास खाने के लिए खाना नहीं है वो इससे चावल और अन्य अनाज ले सकते हैं, जो पांच दिनों तक चलने के लिए पर्याप्त है.
-रामू दोसापति

रामू इस एटीएम का संचालन अपने हैदराबाद के एलबी नगर वाले घर से करते हैं. इस सेवा का लाभ अब तक हज़ारों ग़रीब परिवार उठा चुके हैं. Rice ATM 24×7 चालू रहता है. इनके घर पर जाकर ज़रूरतमंद राशन किट ले सकते हैं, जिसमें चावल और कुछ अन्य किराने की चीज़ें हैं. रामू ऐसा 170 दिनों से लगातार कर रहे हैं, अब तक कम से कम 15,000 परिवारों को खाना खिलाया जा चुका है. रामू ने अपनी 1.5 लाख रुपये की बचत से एटीएम लॉन्च किया था, जो समय के साथ 5 लाख रुपये तक पहुंच गया, जिसमें उनके प्रॉविडेंट फ़ंड के 3 लाख रुपये भी लगे थे.

लोगों की मदद करने के पीछे की कहानी रामू बताते हैं,
2006 में एक दुर्घटना के दौरान मेरे सिर में चोट लगने पर मैंने भगवान से प्रार्थना की कि अगर मुझे नया जीवन मिला तो मैं लोगों की सेवा करूंगा और जब मैंने देखा कि एक चौकीदार का परिवार प्रवासी श्रमिकों को खिलाने के लिए 2,000 रुपये ख़र्च कर रहा है तो, मैंने सोचा कि मुझे भी मुझे ग़रीबों और ज़रूरतमंदों की सेवा करनी चाहिए.
-रामू दोसापति

रामू ने IANS से बात करते हुए कहा,
मैं और लोगों को भी अपने क्षेत्रों में इसी तरह का काम शुरू करने की सलाह देता हूं. ताकि हर क्षेत्र में लोगों को ज़रूरत की चीज़ें मिल सकें. इसके अलावा कई लोग हैं जो हमारे एटीएम में आने के लिए 15-20 किमी की दूरी तय करते हैं. हैदराबाद की आबादी एक करोड़ से अधिक है और मैं चाहता हूं कि कोई भी भूखा न सोए.
-रामू दोसापति

Rice ATM की किट तीन कैटेगरी में बांटी गई है, पहली प्रवासी और दिहाड़ी मज़दूरों के लिए पांच-दिन की किट, दूसरी, निजी स्कूल के शिक्षकों के रूप में काम करने वाले, होटलों में काम करने वाले, डिलीवरी बॉय और ड्राइवरों के लिए 15-दिवसीय किट और तीसरी एक महीने की किट वरिष्ठ नागरिकों और ग़रीबों के लिए है, जो COVID-19 संक्रमित पाए गए थे.
आज, रामू का Rice ATM हर महीने 150-170 परिवारों को खाना खिला रहा है और कई लोग ज़रूरतमंदों की मदद के लिए आगे भी आ रहे हैं.

तेलंगाना में नलगोंडा ज़िले के मूल निवासी ने बताया,
ये पहली बार नहीं है जब रामू ज़रूरतमंद लोगों की मदद के लिए आगे आए हैं. वो इससे पहले ब्लड डोनेट करने के अलावा टिफ़िन बॉक्स चैलेंज का भी हस्सा रह चुके हैं.
रामू जैसे लोगों की इस दुनिया को बहुत ज़रूरत है, जो निस्वार्थ होकर ज़रूरतमंदों की मदद कर रहे हैं ताकि कोई भूखा न सोए.