मैंने फ़ेसबुक पर अपनी बहन के साथ की एक फ़ोटो पोस्ट की थी. वो तस्वीर तो आम थी, लेकिन लोगों के लिए एक अजीब बात थी. वो अजीब बात ये थी कि मैं और मेरी बहन जुड़वां हैं.
हां भई, मेरी एक जुड़वां बहन भी है. हम दोनों बिल्कुल एक सी दिखती हैं, जिसे आईडेंटिकल ट्विन्स कहा जाता है.
अब जिनको पता है वो तो ‘awww’ और क्यूट लिख कर भेज देते हैं. मगर जिनके लिए नया होता है, वो एकदम हैरान रह जाते हैं. ‘यार, तुम दोनों एकदम एक जैसे दिखते हो’, ‘यार तुम्हारी जुड़वां बहन भी है?, ‘अरे लेफ़्ट वाली तुम और राइट वाली वो है न’!.
लोगों की ऐसी अजीबो-ग़रीब बातों को सुनते-सुनते मेरा दिमाग घूम जाता है. लेकिन सच कहूं तो मज़ा भी बहुत आता है. ये सब सुनकर स्पेशल सा फ़ील भी होता है.
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मैं और मेरी बहन जयती जुड़वां होने के कारण स्कूल से लेकर कॉलेज तक हमेशा लोगों की नज़रों के सामने रही हैं. घर पर आए हर मेहमान और रिश्तेदारों की बातचीत के लिए तो हम दोनों पसंदीदा मुद्दा रहे हैं. लेकिन बचपन में सबसे ज़्यादा मज़ा तो तब आता था जब हम दोनों बहनें रिश्तेदारों के घर जाते थे. इस दौरान हम उनके जाकर ‘हमको पहचानों’ वाला खेल खेला करते थे. यदि कोई हमें पहचानने में ग़लत हो जाता था तो उससे टॉफ़ी या चॉकलेट वसूली जाती थी.
मुझे याद है बचपन में नानी हम दोनों के लिए हमेशा एक जैसे कपड़े लाया करती थीं. एक जैसी कपडे पहनकर हम दोनों लोगों को बेवक़ूफ़ बनाया करते थे. आपने टीवी पर देखा और सुना होगा कि मां-बाप कैसे अपने जुड़वां बच्चों में कंफ्यूज़ हो जाते हैं. पर यक़ीन मानिए, ऐसा ही होता है. कितनी बार मम्मी-पापा हम दोनों को लेकर भी कन्फ्यूज़ हो जाया करते थे. कभी-कभी उन दोनों की इस गड़बड़ी के चलते सही इंसान को डांट पड़ जाती और ग़लत बच जाती थी.
हम जुड़वां होने का फ़ायदा भी बहुत उठाते थे. कई बार ऐसा होता था कि मां मुझे कोई काम कहती थी तो मैं वो काम जयती पर टाल दिया करती थी. लखनऊ में हमारे घर के पास एक ड्रॉइंग और डांसिंग स्कूल हुआ करता था, जिसमें मैं और जयती गर्मी की छुट्टियों में जाया करते थे.
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अब ये बात तो हमें पता ही थी कि जब हमारे माता-पिता हमें नहीं पहचान पाते तो बाक़ी लोग कैसे पहचानेंगे. ऐसे में हम हर रोज़ लोगों को परेशान करने के लिए एक जैसे कपड़े पहन कर घरसे निकला करते थे. डांस क्लास के दौरान भी हम दोनों अपनी शरारतों से बच्चों को ख़ूब परेशान किया करते थे. हर दूसरे दिन पापा के पास हमारी शिकायत पहुंच जाया करती थी.
मगर जुड़वां होने का एक बड़ा नुक़सान ये भी होता था कि मोहल्ले वाले जानते थे कि हम किस घर के बच्चें हैं, जिसके चलते शरारत करने पर आए दिन हमारी शिकायतें घरवालों के पास आसानी से पहुंच जाया करती थी. लेकिन हम भी कुछ कम नहीं थे. हम दोनों बहनें अच्छे से जानती थीं कि हम दोनों किस हद तक एक जैसी दिखती हैं ताकि लोगों को परेशान कर सकें.
हम हर रविवार को एक पार्क में जाया करते थे और हमेशा की तरह एक जैसे कपड़े पहन कर ही घर से निकलते थे. शरारत हमारे अंदर कूट-कूटकर भरी हुई थी. एक बार हम दोनों ने हद ही कर दी थी. प्लान के मुताबिक़ हम दोनों ने एक लड़की को यक़ीन दिलाया कि हम भूत हैं और दूसरी दुनिया से आए हैं. बस फ़िर क्या वो इतना डर गई कि तेज़-तेज़ रोने लगी. घर पहुंचे तो हम दोनों को काफ़ी डांट पड़ी.
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मैं बचपन से ही अपनी बहन जयती से एक अलग सा जुड़ाव महसूस करती हूं. वो हमेशा से मेरी बहन से ज़्यादा मेरी दोस्त रही है. जुड़वा होने के चलते भी मुझे अलग से दोस्तों की ज़रूरत महसूस ही नहीं हुई. मुझे हमेशा लगा कि हम एक दूसरे के लिए काफ़ी हैं. हम आज भी एक-दूसरे के बेस्ट फ़्रेंड हैं.
हम दोनों अपनी हर बात एक-दूसरे के साथ शेयर करती हैं. लेकिन जो चीज़ अब हम सबसे ज़्यादा मिस करते हैं वो ये कि पहले की तरह लोगों को परेशान नहीं कर सकते. जब कभी भी नए दोस्तों को तंग करना हो तो उसके लिए फ़ेसबुक पर हम दोनों की एक तस्वीर डालना ही काफ़ी है!