जीवन ख़ूबसूरत तो है मगर कई बार डरावना भी होता है. 

बचपन में कितना सही होता था ना. स्कूल जाओ, दोस्तों के साथ खेलो, इधर-उधर जाओ कोई मुश्किल नहीं. जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं, हमसे यही उम्मीद की जाती है कि हमें पता हो कि हमें अपने जीवन के साथ क्या करना है या क्या बनना है. 

अब क्या करना है, तब क्या करना है, कौन सी जॉब करनी है, जीवन में आगे क्या करना है, न जाने क्या-क्या. 

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मैं 21 की हूं और मेरे पास नहीं है इस बात का जवाब कि मुझे आगे क्या करना है या कुछ इस तरह से मैंने अपनी ज़िंदगी प्लान की है. मैं तो बस समय के साथ चलती जा रही हूं. 

मुझे नहीं समझ आता कि मुझे जीवन में आगे क्या करना है या क्या बनना है? नहीं पता कि जो काम में अभी कर रही हूं उसे ही हमेशा करना चाहती हूं या नहीं. ऐसा भी नहीं है कि जो काम अभी कर रही हूं उसमे मज़ा नहीं आता है, आता है मन भी लगता है. मगर क्या ये मन लम्बे समय तक लगेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है. 

कभी-कभी सोचती हूं क्या हर व्यक्ति ने 21 साल की उम्र में ये पता लगा लिया था कि उसे क्या करना है. उसका भविष्य आगे चल कर कुछ इस अंदाज़ में दिखेगा… मुझे लगता है नहीं. 

आस-पास दोस्तों को देखती हूं तो पाती हूं कि सबने तो नहीं मगर कई लोगों ने बिलकुल प्लान बना रखा है कि उनको कब क्या करना है… जीवन से उनकी उम्मीदें क्या हैं. 

काफ़ी उदास हो जाती हूं कई बार ये सोच कर कि शायद मुझमें ही कुछ ग़लत है या मैं जीवन को लेकर गंभीर नहीं हूं.

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जब कॉलेज में थी तब तो एक तरह से मुझे पता था कि हां जब में यहां से निकलूंगी तो कुछ साल यहां नौकरी करूंगी, फिर ये करूंगी और फिर तो भाई लाइफ़ सेट है. मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ जैसे मैंने सोचा था. 

मेरे सारे प्लान फ़्लॉप हो गए और अब मैं बस उस दिशा में मुड़ती जा रही हूं जिधर मुझे अच्छा लग रहा है या ठीक लग रहा है. मैं ज़्यादा दूर का सोच कर नहीं चल रही हूं. शायद, सोचना भी नहीं चाहती हूं. क्या में ग़लत हूं? 

मुझे नहीं पता की आने वाले एक साल में मुझे क्या करना है मैं बस इतना जानती हूं की अभी या फिर ज़्यादा से ज़्यादा कल क्या करना है. क्या में गलत हूं? क्या मैं ग़लत हूं अगर मैंने अपनी लाइफ़ का रोड मैप नहीं बनाया हुआ है तो!