हर इंसान की ज़िन्दगी में ख़ुशी और ग़म एक साये की तरह साथ चलते रहते हैं. एक पल में ख़ुशी, तो दूसरे ही पल ग़म. इसलिए वक़्त के साथ-साथ हमें ज़िन्दगी को भी अहमियत देनी चाहिए. इंसान जब अपना सब कुछ गवां देता है, तब उसे पता चलता है कि ज़िन्दगी कितनी अनमोल है.
फ़ेसबुक पर Humans of Bombay पेज पर दीपक सैनी नाम के एक लड़के ने अपनी एक मार्मिक कहानी शेयर की है. जो हर इंसान को ज़िन्दगी जीने और उसकी अहमियत समझने के लिए प्रेरित करेगी.
दीपक ने ट्रेन की चपेट में आकर अपना एक पैर हमेशा के लिए गंवा दिया. उसके बाद उसने अपनी ज़िन्दगी के साथ क्या किया?

‘जब मैं अपने एक पैर के साथ पहली बार कॉलेज गया तो लोगों ने मुझे बहुत चिढ़ाया. वो दिन मेरा कॉलेज का आख़री दिन था. पैर खोने के बाद मुझे लगा मेरा जीवन ख़त्म हो गया है. मैं दो साल तक डिप्रेशन में रहा, इस दौरान मैं ख़ुद को अकेला महसूस करने लगा था, कभी-कभी ऐसा लगता था जैसे अन्धेरा मुझे काटने आ रहा हो. मैं ज़िन्दगी से हार गया था.’

फिर एक दिन एक इंसान मेरे लिए जीने की उम्मीद लेकर आया. मैंने इंस्टाग्राम पर अपने जैसा एक शख़्स को देखा. वो भी किसी हादसे में अपना एक पैर खो चुका था. बावजूद इसके, वो अपनी ज़िन्दगी को ख़ुशी-ख़ुशी जी रहा था, अपना हर सपना पूरा कर रहा था. उसे देखकर मुझे प्रेरणा मिली कि हर ग़म को भूल कर ज़िन्दगी कैसे जी जाती है. उस दिन मैंने पूरे ढाई साल बाद चैन की सांस ली. मैं अपने परवािर वालों के साथ समय बिताने लगा, दोस्तों से मिला, उनके साथ खेलने लगा, मैं मैराथॉन में भी दौड़ा. अब मैं पहले की तरह ज़िन्दगी जीने लगा हूं.

जब मैं 10 लोगों के साथ लाइन में खड़ा होता हूं, तो हर किसी की नज़र मेरे पैर पर जाती है. उस वक़्त मुझे बिलकुल भी बुरा नहीं लगता, मुझे गर्व होता है कि मैं अब भी इन लोगों के साथ खड़ा हूं. कई लोग मुझे इतना ख़ुश देखकर हैरान हो जाते हैं.

ज़िन्दगी सिर्फ़ ख़ुद के जीने के लिए नहीं है. दूसरों के लिए जीना ज़िन्दगी का सबसे सुख़द पल होता है. ख़ुशी और ग़म हर इंसान की ज़िन्दगी के दो पहलू हैं. हमें हर परिस्थिति में ज़िन्दगी को अहमियत देनी चाहिए.