इक़बाल अहमद उन लोगों में से हैं, जो मानते हैं कि देश की सेवा ज़रूरतमंदों की मदद कर के भी की जा सकती है. यही वजह है कि IAS अफ़सर बनने के बाद भी उन्होंने अपने सेवा-भाव को बरक़रार रखा.

2010 से वो ग़रीबों को मुफ़्त स्वास्थ्य सेवा देने के लिए प्रयास कर रहे हैं. इस वक़्त वो उत्तराखंड के चम्पावत ज़िले में ज़िला अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं. फिर भी वो हर सुबह ज़िला अस्पताल में एक घंटे के लिए ग़रीबों का मुफ़्त इलाज करते हैं.
उन्होंने 2009 में कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज से MBBS की पढ़ाई पूरी की थी. इसके एक साल बाद ही वो IAS भी बन गए. सात साल बाद उन्होंने लोगों का इलाज करने का अपना सपना पूरा करने के लिए काम करना शुरू कर दिया है. 2015 में उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल ने उनका रजिस्ट्रेशन क्लियर कर दिया.

चम्पावत के चीफ़ मेडिकल ऑफ़िसर, डॉक्टर MS बोरा ने उनके कदम की सराहना करते हुए कहा कि ग़रीबों की इससे बहुत मदद हो रही है. चम्पावत में केवल एक ज़िला अस्पताल और 42 डॉक्टर्स हैं. जहां 2,700 डॉक्टर्स की ज़रूरत है, वहां केवल 1000 डॉक्टर्स हैं.
इससे पहले भी उत्तराखंड के IAS अफ़सर, डॉक्टर राकेश कुमार ने इस तरह ग़रीबों की मदद की थी. देश को ऐसे ही अधिकारीयों की ज़रूरत है, जो लोगों की हर तरह से सेवा करने को तत्पर रहते हैं.