हमने अकसर अपने इर्द-गिर्द ऐसे लोगों को देखा है, जो खाने की क्वालिटी पर खास ज़ोर देते हैं. ये वो लोग होते हैं, जिन्होंने अपने दिमाग में हर व्यंजन के लिए एक सोच बनाई होती है कि ये अच्छा है और ये बुरा. विज्ञान की भाषा में इसे Orthorexia कहते हैं.
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Orthorexia कोई खाने की बीमारी घोषित नहीं हुई है, लेकिन इसके लक्षण व्यक्ति के दिमाग पर काफ़ी बुरा असर डालते हैं. इस लक्षण से जूझता व्यक्ति खाने के बारे में ज़्यादा फ़िक्र करने लगता है. ये दिमाग में व्यंजन की अच्छी और बुरी तस्वीर बना लेते हैं. जब वो अपने हिसाब से खराब खाना खा लेते हैं, तो उसके बारे में मन ही मन परेशान होते रहते हैं. मनोविज्ञान के हिसाब से हम जिस भी चीज़ से बचते हैं, कहीं न कहीं उसी की चाह रखते हैं. काफ़ी लोग दिखावे में साफ़ सफ़ाई रखते हैं और अकेले में जैसी मर्ज़ी वैसे खाते हैं, ये कुछ वैसे ही लोग हैं.
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हर व्यक्ति जो स्वस्थ भोजन करता है, वो ज़रूरी नहीं Orthorexia से जूझ रहा हो. एक और तरह के लक्षण इंसान में देखे जाते हैं, जिसे विज्ञान में Anorexia Nervosa कहते हैं. इस अवस्था में लोग स्वस्थ भोजन पर ध्यान तो देते हैं, पर वज़न घटाने के लिए.
इन दोनों में सिर्फ़ एक समानता है, ये लोग काफ़ी वक़्त यही सोचने में बिताते हैं कि क्या खाएं और क्या न खाएं. जबकि इनके लक्ष्य अलग-अलग होते हैं, एक स्वस्थ रहने की कोशिश कर रहा है, दूसरा वज़न घटाने की. इसका प्रभाव दोनों पर अलग-अलग दिखता है, पर दोनों को खाने के लिए टेंशन एक जैसी होती है.
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Orthorexia के लक्षण से बचने के लिए ये ज़रूरी है कि आप खाने के बारे में ये सोचना बंद कर दें कि ये अच्छा है या ख़राब. इसके बदले आप उतना ही खाएं जिससे आपकी भूख खत्म हो जाए. इसके अलावा खाने पर ध्यान देने के बदले जीवन की बाकी ज़रूरी चीज़ों पर ध्यान दीजिए, आप स्वस्थ रहेंगे.