पार्टी या किसी बड़े त्योहार को मनाने के लिए अकसर लोग बोतल खोलने की बात करते हैं, जाम से जाम टकराए जाते हैं, लेकिन होली में बोतल की जगह ले लेती है हरी भांग. और होली दोनों एक दूसरे के बिना अधूरी हैं. भांग का नशा और रंग इसे मस्ती का त्योहार बना देते हैं.

लेकिन भांग और होली का साथ आज का नहीं हैं. ये दोंनो सदियों पुराने साथी हैं. वैसे तो भांग हमारे समाज में काफ़ी पहले से है. लेकिन होली में इसका महत्व और बढ़ जाता है. लेकिन सवाल उठता है कि भांग होती क्या है?

दरअसल भांग का एक पेड़ होता है, जिसके पत्तियों को पीस कर इसे खाने लायक बनाया जाता है. हरे रंग के बड़े-बड़े गोले किसी को भी घुमा देने के लिए काफी हैं. इसे ज़्यादातर लोग ठंडाई में घोल कर पीते हैं. ठंडाई, जो कि दूध और मेवों और गुलाब के पत्तों को पीस कर बनाई जाती है.

कई जगह भांग को लस्सी में घोल कर भी पिया जाता है. भांग हमेशा ही ठंडे पेय पदार्थ के साथ ही लेना चाहिए. कई लोग इसे सिगरेट की तरह भी पीते हैं. लेकिन उसके लिए भांग के पत्तों को सुखाना ज़रूरी है.

भांग और ठंडाई सिर्फ़ अपने देश में ही नहीं, बल्कि विश्व में भी फ़ेमस है. विदेशों से लोग होली पर भारत आना पसंद करते हैं और भांग का मज़ा लेना नहीं भूलते.

भांग की खोज भगवान शिव से जुड़ी है. दंत कथाओं की मानें, तो परिवार से दूर कुछ दिन शिव जी जंगलों में निकल गए. वहां उन्हें नींद आई, तो कुछ पत्ते बिछा कर वो उस पर सो गए, जब वो उठे तो उन्हें भूख लग रही थी, जिन पत्तों पर भगवान शिव को नींद आई थी, उन्हें उठा कर शिव जी ने खा लिया और उन्हें काफ़ी अच्छा महसूस हुआ. इसके बाद से भांग भगवान शिव का पसंदीदा खाना बन गया.

ऐसा नहीं है कि भांग को सिर्फ़ नशे और मस्ती के लिए इस्तेमाल किया जाता है. आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल दवाई बनाने में भी किया जाता है. 1894 तक भारत में बनने वाली Penicillin दवाई में इसका इस्तेमाल भी होता था. विज्ञान भी इसे खुश रहने की दवा मानता है. हांलाकि इसके ज़्यादा इस्तेमाल से याददाश्त कमज़ोर होती है.

यूनानी दवाईयों में भी भांग का इस्तेमाल होता रहा है. सिखों के इतिहास में भी भांग का वर्णन है. युद्ध के दौरान अपने को दोबारा तैयार करने के लिए योद्धा भांग का सेवन करते थे. भांग को खुशी और उर्जा देने वाला पौधा भी कहा जाता है. ऐसे मस्ती के त्योहार में भांग खाना खुशियां बांटने जैसा होता है.

लेकिन भांग के नशे को झेल पाना हर किसी के बस की बात नहीं होती. हंसी आना तो आम है, इसके साथ कई और तरह की हरकतें लोग करते दिखते हैं. कहते हैं कि ये नशा खुद उतरता है और इसकी कोई काट नहीं है. तो अगर आपके किसी जानने वाले को भांग का नशा हो जाए, तो घबराइए नहीं, बस वक़्त बीतने दीजिए. उनका नशा उतर जाएगा.