आपको अपने कॉलेज के शुरुआती दिन याद हैं?
जब आप 17 साल के थे तब आपके कॉलेज के दिन कैसे बीत रहे थे? हममें से ज़्यादातर लोगों ने कॉलेज के शुरुआत से लेकर काफ़ी साल ये सोचने में लगाए कि पढ़ाई के अलावा क्या-क्या करें और ख़ासकर शनिवार और रविवार को कैसे बेहतर बनाएं. लेकिन 17 साल का अनंत वशिष्ठ 17 साल की उम्र में आईआईटी रुड़की में दाख़िला लेने के बाद हर शनिवार और रविवार 8 किलोमीटर दूर पैदल जाकर ग़रीब बच्चों को पढ़ा रहे थे. अनंत के इस काम में उसका साथ दोस्तों ने भी दिया. इसके लिए उन्होंने एक टेंट, ब्लैकबोर्ड, चॉक और कुछ कुर्सियों की व्यवस्था की और बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2019/10/5da7146250758d1cac505209_9a017498-91f9-40a6-a45f-d5000f09a946.jpg)
अनंत ने बताया,
गांववालों को समझाना एक चुनौती भरा काम था, लेकिन अनंत ने हार नहीं मानी और अपने इरादों के बारे में गावं वालों को समझाने की कोशिश करते रहे. धीरे-धीरे गांववालों ने अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजना शुरू कर दिया. फिर पांच बच्चों के साथ क्लास की शुरुआत हुई आज ये संख्या 15-20 तक पहुंच गई है.
अनंत के इसी अतुलनीय काम के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें 19वें वार्षिक दीक्षांत समारोह के दौरान स्वर्ण पदक से सम्मानित किया. इस दौरान आठ अन्य छात्रों को भी सम्मानित किया गया. इसके अलावा अनंत ने डॉ. जयकृष्ण स्वर्ण पदक भी जीता है.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2019/10/5da7146250758d1cac505209_39a56b90-4e8c-49c2-9170-2f0b7915efbc.jpg)
आगे बताया,
हम किसी एनजीओ से नहीं है. हम स्वतंत्ररूप से बच्चों को पढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं और ऐसा करके हम अपने देश के विकास और शिक्षा के स्तर को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. हम 3,4 और 5वीं क्लास के बच्चों को पढ़ाते हैं.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2019/10/5da7146250758d1cac505209_4af3481d-8c87-447e-9bd5-1f1aeb83e0fd.jpg)
अनंत आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका स्थित Massachusetts Institute of Technology (MIT) जाना चाहते हैं. वहां से पढ़ाई करने के बाद वो देश की सेवा करना चाहते हैं, यही उनका आख़िरी उद्देश्य है.
फ़िलहाल अनंत गुरूग्राम में मास्टर कार्ड में नौकरी कर रहे हैं. उनसे जब क्लासेज़ को मैनेज करने के बारे में पूछा गया तो, उनका कहना था, बच्चों को पढ़ाना एक सुखद अनुभव है आज मैं नौकरी की वजह से गुरुग्राम शिफ़्ट हो गया हूं, तो उनकी क्लासेज़ सुचारू रूप से नहीं ले पा रहा हूं, लेकिन वो सभी मेरे से जुड़े हुए हैं. और मैं उनकी हेल्प करता रहता हूं.
Life से जुड़े आर्टिकल ScoopwhoopHindi पर पढ़ें.