दूसरे विश्व युद्ध में जापान को हराने के लिए अमेरिका ने उस पर परमाणु हमला किया था. उसने जापान के नागासाकी और हिरोशिमा शहरों पर परमाणु बम गिराए थे. इसमें क़रीब 1.40 लाख निर्दोष लोग मारे गए थे. आज हम आपको उस ख़ुशकिस्तम इंसान के बारे में बताएंगे जो इन दोनों ही परमाणु हमलों में बच गया था.

उस भाग्यशाली शख़्स का नाम है Tsutomu Yamaguchi, जो जापान में 3 दिनों के अंदर हुए दो परमाणु हमलों में बच गए थे. इसे आप किस्मत का खेल भी कह सकते हैं. क्योंकि जिस तरह वो इन परमाणु बमों से बचे वो एक संयोग ही था, जिस पर शायद आप यक़ीन न करें.

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1945 में Tsutomu Yamaguchi 29 साल के थे और वो एक बिज़नेस ट्रिप पर हिरोशिमा गए थे. जापान की नौसेना में काम कर चुके Yamaguchi तब Mitsubishi Heavy Industries के लिए काम करते थे. वो यहां पर अपने कुछ दोस्तों के साथ एक तेल के टैंकर का डिज़ाइन तैयार करने आए थे. वो काम पूरा कर शहर से जाने की तैयारी कर रहे थे कि 6 अगस्त को सुबह 8 बजे अमेरिका ने वहां परमाणु बम गिरा दिया, जिसका नाम ‘लिटल बॉय’ था.

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जहां ये बम गिरा वहां से क़रीब 3 किलोमीटर की दूरी पर थे Yamaguchi. धमाका इतना जोर था कि उनके कान के पर्दे हिल गए. आसमान पर देखने पर ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने ज्वलनशील गैस के गुब्बारे में आग लगा दी हो. चारों ओर राख ही राख और भीषण गर्मी. धमाका इतना तेज़ था कि उसने उन्हें उड़ाते हुए एक आलू के ढेर में फेंक दिया.

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जब वो होश में आए तो चारों तरफ अंधेरा था कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. उन्हें आसमान में एक बड़े मशरूम जैसी जलती हुई आकृति दिखी. उनके बाल जल गए थे, दिखाई भी कम देने लगा था पर अच्छी बात ये थी कि वो ज़िंदा थे. किसी तरह वो अपनी जान बचाकर दो साथियों के साथ एक शेल्टर तक पहुंचे. रास्ते में Yamaguchi ने लाशों के ढेर को देखा और एक लाशों से भरी नदी को भी पार किया.

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इस शेल्टर में उन्होंने रात बिताई. अगले दिन वो अपने घर के लिए ट्रेन पकड़ने के लिए निकलने वाले थे. दुर्भाग्य से उनका घर नागासाकी में था, जहां उनकी पत्नी और बच्चा इंतज़ार कर रहे थे. मगर किसी काम की वजह से वो वहीं रुक गए. फ़ैक्ट्री में वो अपने बॉस को परमाणु हमले के बारे में बता रहे थे कि तभी एक ब्लास्ट हुआ. इस बार निशाना नागासाकी था.

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इस बार वो इतनी बुरी तरह से घायल नहीं हुए. पहाड़ी इलाका होने के चलते इस शहर को भी ज़्यादा नुकसान नहीं हुआ. ख़ुद को संभालने के बाद वो अपनी पत्नी और बच्चे की तलाश में निकले जो किसी तरह बच गए थे. हालांकि, इस बीच उनके घाव में तेज़ी से दर्द होने लगा, क्योंकि वो दो बार रेडिएशन के शिकार हो चुके थे. 

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उनके जख़्मों में इंफ़ेक्शन हो गया था और वो रेडिएशन के कारण बार-बार उल्टियां कर रहे थे. कई सप्ताह तक वो बुखार से तड़पते रहे मगर फिर भी वो सर्वाइव करने में कामयाब रहे. 15 अगस्त 1945 को जापान के राजा Hirohito ने अमेरिका के सामने सरेंडर कर दिया और युद्ध विराम की घोषणा कर दी. इसके कुछ दिनों बाद Yamaguchi पूरी तरह ठीक हो गए. कुछ सालों तक उन्होंने ट्रांसलेटर से लेकर टीचर तक की जॉब की.

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फ़ाइनली जब सब ठीक हो गया तो वो अपनी कंपनी में फिर से बतौर इंजीनियर काम करने लगे. जापान के लोग उन्हें ‘Nijyuu Hibakusha’ कहकर बुलाते थे, जिसका मतलब था दो बार बमबारी का शिकार हुआ व्यक्ति. वो इन दोनों हमलों में बचने वाले एक मात्र जापानी थे. साल 2010 में 93 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था.

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