आज मीडिया और राजनीतिक हालातों ने भले ही पाकिस्तान और हिन्दुस्तान को एक-दूसरे का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी और दुश्मन बना दिया हो, पर एक वक़्त ऐसा भी था, जब 1947 से पहले दोनों देश एक ही घाट का पानी पीते थे. 1947 में देश को आज़ादी तो मिली, पर एक देश के दो टुकड़े हो गए, जिसने एक ही थाली पर बंटवारे की एक लकीर खींच दी. हिंदुस्तान और पकिस्तान के बीच की इस सीमा को रेडक्लिफ़ लाइन का नाम दिया गया. इसका ये नाम ब्रिटिश एडवोकेट सिरियस रेडक्लिफ़ के नाम पर पड़ा, जिन्हें हिंदुस्तान की ज़मीन को दो टुकड़े में बांटने का काम को सौंपा गया था. ये वही अधिकारी था, जिसे हिंदुस्तान की कोई भौगोलिक जानकारी न होने के बावजूद लॉर्ड माउंटबेटन के दबाव में दो महीने के अंदर ही ये लकीर खींचनी पड़ी. हालांकि रेडक्लिफ़ ख़ुद इस बात से वाकिफ़ थे कि इस तरह के बंटवारे का हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों को परिणाम भुगतना पड़ेगा, पर मजबूरी में वो ऐसा करने को राज़ी हो गए.

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इसी दवाब का असर था कि 15 अगस्त 1947 के बंटवारे के समय गुरदासपुर और फ़िरोज़पुर, पाकिस्तान की झोली में डाल दिए गए थे. अपनी भूल का अंदाज़ा होने पर लॉर्ड माउंटबेटन ने आदेश दिया कि इन्हें दोबारा भारत में शामिल किया जाए, जिसके बाद 11 अक्टूबर को फिर एक लाइन खींची गई. इसकी वजह से लोगों में एक बार फिर भगदड़ मची और मार-काट शुरू हो गई.

11 अक्टूबर के बाद ही भारत-पाकिस्तान के बीच अटारी-वाघा बॉर्डर अस्तित्व में आया. इस बॉर्डर के निर्धारण में भारतीय सेना के ब्रिगेडियर महिंदर सिंह चोपड़ा और पाकिस्तान के ब्रिगेडियर नासिर अहमद का महत्वपूर्ण योगदान रहा. हाल ही में रेडक्लिफ़ लाइन ने अपने अपने 70 साल पूरे किये, जिसके मौके पर ब्रिगेडियर चोपड़ा के बेटे पुश्पिंदर चोपड़ा पहुंचे. पुश्पिंदर चोपड़ा ने बताया कि बंटवारे के बाद 8 अगस्त को उनके पिता को 123 इंफेंट्री ब्रिगेड के साथ यहां की कमान सौंपी गई थी, जबकि पाकिस्तान की तरफ़ से उनके जूनियर और पाक सेना के ब्रिगेडियर नासिर अहमद अपनी सीमा की रखवाली कर रहे थे.

पुश्पिंदर चोपड़ा ने बताया कि जब बंटवारा हुआ, तब कोई सीमा नहीं थी, जिसकी वजह से ये नहीं पता चल पा रहा था कि किस तरफ़ हिंदुस्तान की सीमा ख़त्म हुई है और कहां से पाकिस्तान शुरू हुआ है. इसका हल निकालने के लिए दोनों देशों के अधिकारियों के बीच एक मीटिंग रखी गई, जिसके बाद सूखे चूना का इस्तेमाल करके एक रेखा खींची गई, जिसने सीमा का निर्धारण किया. इसके साथ ही हिंदुस्तान और पाकिस्तान ने अपनी तरफ़ एक-एक ड्रम रख दिया, जिसे दोनों देशों की पोस्ट की तरह चिन्हित किया गया.

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