दिल्ली की प्रसिद्ध जामा मस्जिद से लेकर हैदराबाद की मक्का मस्जिद के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि भारत में सबसे पहले मस्जिद कब व कहां बनी थी और इसे किसने बनवाया था? नहीं न? चलिए हम बताते हैं.
दरअसल, देश की पहली मस्जिद केरल के त्रिशुर ज़िले में 629 ईसवी में बनी थी. इस मस्जिद का नाम ‘चेरामन जुमा मस्जिद’ है. इस मस्जिद का निर्माण पैगंबर हज़रत मुहम्मद साहब के जीवनकाल में हुआ था. अरब के बाहर बनने वाली ये विश्व की प्रथम मस्जिद थी.
देश की सबसे पुरानी मानी जाने वाली ये मस्जिद अपनी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के लिए मशहूर है. केरल के कोडुंगलूर क्षेत्र में बनाई गई इस ऐतिहासिक मस्जिद का नाम ‘चेरामन जुमा मस्जिद’ राजा चेरामन पेरुमल के नाम पर रखा गया है.
केरल के चेरामन राजाओं को लेकर कई किंवदंतियां प्रचलित हैं. इन्हें तक़रीबन देवताओं की तरह माना जाता है और इनके बारे में कई चमत्कारिक किस्से बयान किए जाते हैं.
कौन थे राजा चेरामन पेरुमल?
केरल के राजा चेरामन पेरूमल एक बार अपने महल में रानी के साथ टहल रहे थे. इस दौरान उन्होंने चांद में दरार या विखंडन जैसी कोई घटना देखी. इसके बाद उन्होंने फ़ौरन अपने राज्य के ज्योतिषियों व खगोल शास्त्रियों से इसका विश्लेषण करने को कहा. पेरूमल इस घटना का अर्थ समझना चाहता था.
इसी दौरान हज़रत मोहम्मद साहब के कुछ दूत केरल के कोडुनगल्लूर आए हुए थे. इस बीच राजा पेरूमल ने मोहम्मद साहब के दूतों से मिलकर उनके समक्ष चांद की उस घटना की चर्चा की. इसके बाद राजा के सवालों के जवाब में दूतों ने उन्हें हज़रत मोहम्मद साहब से मिलने की सलाह दी. दूतों की बात मानकर राजा पेरूमल मोहम्मद साहब से मिलने मक्का के लिए निकल पड़े.
चांद से पैगंबर तक पहुंचने का सफ़र
दक्षिण भारत में मान्यता है कि राजा चेरामन पेरुमल जब हज़रत मोहम्मद साहब से मिलने अरब यात्रा पर गए हुए थे, तो इसी दौरान जेद्दा में उनकी मुलाकात एक मुस्लिम धर्म प्रचारक से हुई. इस मुलाक़ात के बाद चेरामन ने इस्लाम धर्म ग्रहण कर लिया और अपना नाम तजुद्दीन रख लिया. इसके उनकी शादी जेद्दा के तत्कालीन राजा की बहन से हो गयी और वो हमेशा के लिए वहीं बस गए.
राजा चेरामन पेरुमल ने अपनी मृत्यु से पुर्व जेद्दा के राजा को केरल के शासकों के नाम कुछ पत्र दिए. इन पत्रों में उन्होंने केरल में इस्लाम के प्रचार में सहायता करने का अनुरोध किया गया था. जेद्दा के राजा जब केरल आए तो वो कोडुंगलूर के राजा से मिले और कोडुंगलूर में मस्जिद बनाने के लिए राजा की सहायता भी की. इस तरह ‘चेरामन जुमा मस्जिद’ का निर्माण हो पाया.
कहा जाता है कि इसके बाद जब अरब के मुस्लिम व्यापारी व्यापार के सिलसिले से भारत के दक्षिणी तट पर आए तो उस दौरान मुस्लिम धर्म प्रचारक दबान दीमार सहाब ने केरल के तटीय इलाको में कई मस्जिदों का निर्माण कराया. इस इलाक़े में आज भी कई प्राचीन मस्जिदें हैं, जो स्थानीय वास्तुकला की विशिष्ट शैली को दर्शाती हैं.
मस्जिद की प्रबंधन समिति के अध्यक्ष डॉक्टर मोहम्मद सईद के मुताबिक़ मौजूदा इमारत का भीतरी भाग 15वीं सदी का है. ये मस्जिद हमारी राष्ट्रीय धरोहर है और हमें इसका संरक्षण करना चाहिए.
क्षेत्र की ऐतिहासिक विरासत को सुरक्षित रखने के लिए सरकार ने हाल ही में यहां के प्राचीन मुजीरी बंदरगाह के नाम से एक परियोजना शुरू की है. अब ‘चेरामन जुमा मस्जिद’ को उसकी पुरानी शक्ल में लौटाने की तैयारी है.
माना जाता है कि सातवीं शताब्दी की एक इसी तरह की मस्जिद पड़ोसी राज्य तमिलनाडु में भी है.
‘चेरामन जुमा मस्जिद’ कुछ मिथकों और कुछ तथ्य की मिली-जुली कथा है. भले ही समय के साथ इसकी शक्ल बदल गई हो, लेकिन इसका धर्मनिरपेक्ष स्वभाव नहीं.