गांव का कोई लड़का जब सेना का जवान बनने का सपना देखता है, तो उसकी सुबह रोज़ 4 बजे होती है. उठते ही वह गांव की पगडंडियों पर दौड़ लगाता है, उम्र यही कोई 16-17 साल की होती है. चेहरे पर मासूमियत होती है, और कंधे पर होती है घर की ज़िम्मेदारी. मध्यम वर्ग का वह लड़का, जो सेना में जाने की तैयारी में दिन-रात एक कर देता है, उसके इस एक सपने से घर में बैठी जवान बहन, बूढ़ी मां और समय के साथ कमज़ोर होते पिता की ढ़ेरों उम्मीदें ही नहीं जुड़ी होती हैं, बल्कि जुड़ा होता है एक सच्चे हिन्दुस्तानी होने का फ़र्ज़.

फ़ौजी बनना कोई मज़ाक नहीं है. फौज़ी इस देश की शान है, मान है, और हमारा अभिमान है. देश सेवा के लिए फौजी हमेशा तत्पर रहते हैं. इन्हें न प्रांत से मतलब है और न ही धर्म से, इन्हें तो मतलब है, बस अपने देश से.

ये फौजी कैसे बनते हैं

करियर, रोजगार और पैसे की चाह में देश के युवाओं के पास कई विकल्प मौजूद रहते हैं, लेकिन कुछ युवा जुनूनी होते हैं, जो देश सेवा के लिए जान देने से भी गुरेज नहीं करते हैं.

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फौजी बनने का मतलब?

फौजी बनने का मतलब होता है, खानाबदोश की ज़िंदगी जीना. ये शब्द शायद आपको सुनने में थोड़ा अजीब लगे, लेकिन ये बिलकुल सच है. फौजी बनने के बाद परिवार, घर, खाना, सुकून सब भूलना होता है.

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फौजी और देश

दुनिया भर के सभी फौजियों में एक ख़ास बात होती है कि वे देश और अपने सीनियर्स के ऑर्डर के अलावा कुछ सुनते ही नहीं.

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फौजी के बिना देश?

एक फौजी के बिना देश वैसा ही होता है जैसे बिना हड्डी के शरीर. किसी भी संप्रभु राष्ट्र के लिए मजबूत फौज बहुत ही ज़रूरी है. आइए हम आपको ग़ज़बपोस्ट पर अपने फौजी भाइयों के बारे में बताते हैं.

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भारतीय सेना के प्रकार

भारत की एकता और अखंडता के लिए भारतीय सेना हमेशा तत्पर रहती है. थल,जल और आकाश से रक्षा करने के लिए देश में तीन सेनाओं को गठित किया गया.

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भारतीय थल सेना

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भारतीय जल सेना

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भारतीय वायु सेना

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इनके अलावा सीमा सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा और बाह्य सुरक्षा को ध्यान में रख कर अन्य सेनाओं का भी गठन किया गया है.

– भारतीय सुरक्षा बल

– असम राइफल्स

– राष्ट्रीय राइफल्स

– राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड

– भारत तिब्बत सीमा बल

कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हमारा है!

इसमें कोई शक नहीं कि भारतीय सीमाओं की रक्षा के लिए हमारे जांबाज अपनी ज़िंदगी तक कुर्बान कर देते हैं.

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भारतीय सेना विश्व की सबसे बड़ी स्वैच्छिक सेना है

हमारे देश में हजारों की संख्या में सैनिक स्वेच्छा से देश की सेवा करते है. संविधान में अनिवार्य सैनिक सेवा की व्यवस्था होने बावजूद भी कभी सरकार को बलपूर्वक इसे लागू करने की ज़रुरत नहीं पड़ी.

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विश्व का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र सियाचिन

समुद्र तल से उस ऊंचाई पर जहां जान बचाना मुश्किल होता है, भारतीय सेना वहां भी शत्रुओं से रक्षा के लिए डटी रहती है. वहां पर कई सैनिकों की मौत दुश्मनों की गोली से न होकर मौसम की मार से होती है.

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खाना ख़ुद से बनाते हैं

आप जान कर हैरान हो जाएंगे, लेकिन ये सच है. हमारी सेना के जवान खाना ख़ुद से बनाते हैं. खाना बनाने के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

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हर शाम शायराना होती है

परिवार से दूर रहना तो किसी को भी अच्छा नहीं लगता है, लेकिन हमारी सेना रहती है. सीमा पर न टीवी की व्यवस्था होती है और न ही ही कोई मनोरंजन का साधन होता है. ऐसे में ये आपस में ही शायरी, कविता पाठ, लोकगीत गा कर हर शाम को गुलज़ार करते हैं.

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ख़त हमेशा लिखते हैं

दूरगामी क्षेत्रों में रहने वाले कई फौजी आज भी अपने परिजनों को प्रतिदिन ख़त लिखते हैं. यही ख़त उनके दोस्त और हमसफ़र होते हैं.

हर फौजी का सपना, गांव में घर हो अपना

भारत के सभी फौजी गांव से जुड़े रहते हैं. उनका सपना होता है कि रिटायरमेंट के बाद वे गांव में ही रहें, जहां शांति से वो खेती कर सके.

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रेडियो आज भी उनका यार है

भले ही हमारे हाथों में मल्टीमीडिया आ गया हो, लेकिन एक बात सच है कि फौजी भाईयों के लिए रेडियो आज भी एक वरदान की तरह है. आकाशवाणी भी उनकी पसंद का ख़ूब ख़्याल रखता है.

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जान से प्यारी, इनकी दोस्ती

फौजियों में एक ख़ास बात है कि वो अपने साथियों को अपने परिवार के सदस्य मान लेते हैं. ऐसे में भरोसा, प्यार और जुड़ाव ज़्यादा हो जाता है.

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एक दूसरे पर ख़ूब फब्तियां कसते हैं

फौजी जवान जितना मर्यादित होता है, उतना ही हंसमुख भी होता है. ज़िंदगी को अगर कोई जीता है, तो वो हैं हमारे फौजी भाई. आस-पास के दोस्तों के साथ खूब मजे लेते हैं.

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Co-Author- Smita Singh