शहर हो या गांव, गिलहरी वो जीव है जिसे भारत में कहीं भी देखा जा सकता है. पेड़ों पर, घर के छज्जों पर ये आराम से फुदकती देखी जा सकती है. लेकिन आपने जो नहीं देखा होगी, हम उस गिलहरी की बात कर रहे हैं.  

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लगभग 2 किलो वज़न, 3 फ़ीट लंबाई और रंग-बिरंगी, इस गिलहरी को देखा है आपने? इसे Indian Giant Squirrel या Malabar Giant Squirrel नाम से जाना जाता है.  

Raghu Peethambaran

मोर जैसी रंगीन ये गिलहरी कई रंगों में पाई जाती है. आमतौर पर इसके ऊपर दो या तीन रंगों का मिश्रण होता है. अगर आप पुणे के राजीव गांधी ज़ूलॉजिकल पार्क में गए होंगे, तो शायद इसे देखा होगा. वहां इस प्रजाति के ऊपर रिसर्च कार्य भी चल रहा है.  

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Indian Giant Squirrel को आमतौर पर चीता या शिकारी पक्षियों से ख़तरा होता है. इसका बर्ताव भी अजीब है, ये शिकारी को देख कर भागने के बजाए पेड़ से चिपक जाती है. हालांकि ये दूर तक छलांग लगाने में सक्षम है.  

इसका मुख्य आहार पेड़ों पर उगने वाले कंद-मूल होते हैं, कभी-कभी ये पक्षियों के घोंसलों में पड़े अंडों को भी चुपके से खा जाते हैं. इसकी ज़्यादतर आबादी मध्यप्रदेश के सतपुड़ा के जंगलों में, ब्रह्मगिरी के पर्वत में, तिरुमाला हिल्स और बंदीपुर नेश्नल पार्क में पाई जाती है.  

Rakesh Kumar Dogra

इसकी जनसंख्या के बारे में कोई आकड़ें मौजूद नहीं है लेकिन ये मानना है कि Indian Giant Squirrel की संख्या कम होती जा रही है. ग़ैर-पेशेवर फ़ोटोग्राफ़र मोहम्मद फ़ारूक ने Bored Panda को बताया कि पहले तमिलनाडु के जंगलों में इसे आसानी से देखा जा सकता था लेकिन टूरिस्ट की संख्या बढ़ने से धीरे-धीरे ये कम दिखने लगी, पिछले कुछ सालों से वापस दिखाई दे रही हैं.  

Yathin S Krishnappa

Indian Giant Squirrel झुंड में रहना पसंद नहीं करती, ये बस सहवास के लिए मिलते हैं.  

Manoj Ashokkumar

इनके बारे में ये ख़ुशख़बरी है कि Bhimashankar Wildlife Sanctuary में इनकी संख्या में साल 2015-16 के बीच 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.  

VinodBhattu

प्रकृति द्वारा निर्मित हर रंग कितना ख़ूबसूरत है!