नदियों को जीवनदायिनी कहा जाता है, यहीं से किसी भी देश की संस्कृति और सभ्यता का पता चलता है. भारतीय संस्क़ृति में ‘समाज, राज और संतों’ ने जीवन देने वाली इन नदियों को मां की उपमा दी है, और बकायदा मां जैसा व्यवहार भी किया है. लेकिन हाल के दिनों में हमने देखा है कि भारत की नदियों का हाल बहुत ही बुरा है. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. भारत की तरह विदेशों में भी कई ऐसी नदियां हैं, जो विकास की भेंट चढ़ गई हैं.
नदियों की ज़रूरत क्यों है?
नदियों से हमें पानी मिलता है. पानी की मदद से हम अपनी ज़रूरत की चीज़ों को पूरा करते हैं. खेती के लिए नदियों का पानी बहुत ही ज़रूरी है. आज कल नदियों का प्रयोग कारखानों से निकले कचरे और रासायनिक पदार्थों को प्रवाहित करने के लिए किया जाता है.
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क्यों नहीं हो पा रही है नदियों की सफाई?
जलस्रोत के आधार पर भारत में गंगा, ब्रह्मपुत्र, यमुना जैसी प्रमुख नदियां हैं. इन नदियों के किनारे देश के कई औद्योगिक शहर बसे हुए हैं. शहरों में कारखानों की भरमार है, ऐसे में उनसे निकलने वाले रासायनिक कचरों को नदियों में बहा देने के अलावा सरकार के पास कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है.
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कई और कारण भी हैं
1980-90 के दशक में वैश्वीकरण के कारण कारखानों का लाखों गैलन गंदा पानी हर दिन नदियों की कोख में समाने लगा.
पूजा व हवन सामग्री को हम पवित्र नदियों में बहा कर पुण्य पाना चाहते हैं.
सभी त्योहारों पर भगवान की प्रतिमा को हम नदियों में ही प्रवाहित कर देते हैं.
मानव शवों एवं अस्थियों को भी हम नदियों में विसर्जित करते हैं.
हिमालय की कई ऐसी नदियां है, जो पर्यटकों के आवागमन की वजह से गंदी हो रही हैं.
भारत में नदियों के प्रदूषण से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के अनुसार, भारत की 150 नदियां प्रदूषण की चपेट में हैं.
केंद्र सरकार ने कहा है कि दिल्ली का नजफगढ़ नाला क्षेत्र, पड़ोसी नोएडा और गाजियाबाद के साथ ही हरियाणा का फरीदाबाद और पानीपत देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित क्षेत्रों में शामिल हैं.
कई बीमारियों का घर हैं दूषित नदियां
वर्ल्ड रिसोर्सेज रिपोर्ट के मुताबिक, 70 फीसदी भारतीय गंदा पानी पीते हैं. पीलिया, हैजा, टायफाइड और मलेरिया जैसी कई बीमारियां गंदे पानी की वजह से होती हैं. रासायनिक खाद भी भूजल को दूषित कर रही है. कारखानों और उद्योग की वजह से हालत और बुरी हो गई है.
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विदेशी नदियों से सबक ले भारत
ऐसा नहीं है कि भारत में ही नदियां प्रदूषित हैं. विदेशों में भी कई नदियां हैं, जो प्रदूषित हैं. लेकिन समय रहते वहां की सरकारों ने उन नदियों की बेहतरीन सफाई की है.
1. जर्मनी की प्रमुख नदी एल्बो में भी काफी गंदगी थी, लेकिन समय पर वहां की सरकार ने इस नदी की सफाई की. आज एल्बो एक स्वच्छ नदी हो गई है.
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2. किसी समय इंग्लैंड की टेम्स नदी भी बहुत ही गंदी हुआ करती थी, लेकिन वहां की सरकार ने इस पर ध्यान दिया और समय पर टेम्स नदी की सफ़ाई हो गई.
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3. अफ्रीकी देशों में नील नदी का बहुत ही बड़ा योगदान है और यह विश्व की सबसे बड़ी नदी है. लेकिन दुर्भाग्य से इस नदी में काफी गंदगी आ गई थी, जिसे सामूहिक प्रयास से साफ़ कर दिया गया.
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सभी नदियों की सफ़ाई ज़रूरी है
मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए नदियों की सफ़ाई बेहद ज़रूरी है. उसके लिए कुछ नियम बनाए गए हैं.
नदियों से सारा कचरा निकालना ज़रूरी है.
वाटर ट्रीटमेंट के लिए बड़े और छोटे कचरे को अलग करना चाहिए
फिर मशीनी प्रक्रिया से उसकी सफाई करनी चाहिए
आपसी सहयोग सबसे ज़्यादा आवश्यक है
प्लास्टिक और कचरे का ट्रीटमेंट सही तरीके से किया जाए.
पर्यावरण नियम और कड़े होने चाहिए
प्रत्येक 50 किलोमीटर पर एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट होना चाहिए.
कुछ महत्वपूर्ण सुझाव
सरकार समाज के लिए ही काम करती है. नदियों की सफाई में ही मानव जाति की भलाई है. आपसी सहयोग से ही हम एक स्वच्छ नदी की कल्पना कर सकते हैं. एक समय था, जब जलमार्ग से भी भारत में व्यापार होता था, लेकिन आज यह एक सपना-सा हो गया है. कल को बेहतर बनाने के लिए आज जरूरी है.
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सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास
नदियों की सफ़ाई के लिए वर्तमान सरकार प्रतिबद्ध है. इसके लिए उन्होंने अलग से मंत्रालय भी बनाया है. गंगा की सफाई के लिए सरकार ने ‘नमामि गंगे’ नाम की एक योजना बनाई है. इसके लिए सरकार ने अलग से धनराशि भी आवंटित की है.
Story Inputs: India Water Portal, DW & BBC