इतिहास के कई ऐसे जासूस हैं, जिनकी चर्चा आज भी होती है. शायद यही उनके कर्म और निष्ठा का सबूत भी है, जो उनके न होने के बावजूद भी आज वो लोगों के दिलों में ज़िंदा हैं. यही नहीं, कई चर्चित जासूसों की प्रेरित कहानियों पर फ़िल्में तक बनाई जा चुकी हैं. इसलिए आज बात होगी भारत के उन भारतीय अंडरकवर एजेंट्स की, जिन्होंने देश के लिये अपनी जान तक कुर्बान कर दी.
1. मोहनलाल भास्कर
मनोहरलाल भास्कर भारत के ऐसे जासूस थे, जिन्होंने देश के लिये अपना ख़तना तक कर लिया. कमाल की बात ये है कि उन्होंने अपने परिवार को इस बात की भनक तक नहीं होने दी. भारत की तरफ़ से उन्हें जासूसी के लिये चुना गया, जिसके बाद उनका धर्म परिवर्तन हुआ और वो मोहनलाल भास्कर से मोहम्मद असलम बन गये. इसके बाद परमाणु कार्यक्रम के बारे में जानकारी हासिल करने के लिये उन्हें पाकिस्तान भेज दिया गया और फिर शुरु हुई असली कहानी.
2. रवींद्र कौशिक
रवींद्र राजस्थान के श्री गंगानगर ज़िले के रहने वाले थे और साथ ही थिएटर के मंझे हुए कलाकार भी. वो महज़ 21 वर्ष के थे, जब भारतीय रॉ अधिकारियों की नज़र उन पर पड़ी. इसके बाद उन्हें 2 साल तक उर्दू, इस्लामी धार्मिक ग्रंथ और पाकिस्तान के इलाकों के बारे में प्रशिक्षण दिया गया. वहीं 1975 में 23 साल की उम्र में उन्होंने बतौर जासूस अहमद शाकिर के रूप में पाकिस्तान में पाकिस्तान में कदम रखा और LLB करने के लिए कराची विश्वविद्यालय में दाख़िल हो गये.
3. कश्मीर सिंह
35 साल तक पाकिस्तान की जेल में रहने वाले कश्मीर सिंह ने एक दफ़ा भी ये नहीं माना कि वो भारत की तरफ़ से पाकिस्तान जासूसी करने गये थे. रिपोर्ट के अनुसार, देश की सैन्य खुफ़िया जानकारी के लिए नियुक्त होने से पहले वो 480 रुपये के वेतन पर भारतीय सेना में काम करते थे. पाकिस्तान के लाहौर में वो गेस्टहाउस में किराये पर कमरा लेकर रहते थे और शहर-शहर बस से सफ़र करते थे.
4. अजीत डोभाल
भारत के जेम्स बॉन्ड कहे जाने वाले अजीत डोभाल ने अपनी ज़िंदगी के 7 साल पाकिस्तान में बिताये हैं. एक पाकिस्तानी मुस्लिम बन कर उन्होंने भारतीय सेना को कई अहम जानकारियां दी. इसके साथ ही उन्होंने 1989 में ‘ऑपरेशन ब्लैक थंडर’ का भी सफ़ल नेतृत्व किया, जिसका मकसद अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से चरमपंथियों को निकालना था.
5. सरस्वती राजमणि
देश की बहादुर महिला का जन्म बर्मा में हुआ था और 1942 में वो सुभाष चंद्र बोस की भारतीय राष्ट्रीय सेना में शामिल होने में कामयाब रही. देश के लिये कुछ कर करने का ज़ज्बा लिये वो महज़ 16 साल की उम्र में झांसी रेजिमेंट की रानी का हिस्सा बनी, जो INA की सैन्य ख़ुफिया शाखा थी. यहीं अंग्रज़ों से अहम जानकारी हासिल करने के लिये उन्होंने अपनी महिला साथियों के साथ मिलकर लड़कों का रूप धारण किया.
6. सहमत ख़ान
इस महिला जासूस ने पाकिस्तान में दुश्मनों के बीच रहते हुए भारत को बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई थीं. साथ ही वो उन चंद सीक्रेट एजेंट में से एक है, जो पाकिस्तान में जासूसी करने बाद भी भारत लौट पाई थीं. दरअसल, 1971 में हुए इंडिया-पाकिस्तान के युद्ध से पहले आर्मी को एक ऐसे जासूस की ज़रूरत पड़ गई थी, जो पाकिस्तान में रह कर उनकी हर हरकत पर नज़र रख सके. इसके लिए एक कश्मीरी बिज़नेसमैन अपनी बेटी सहमत को मनाने में कामयाब हो जाते हैं.
बहादुरी, देशभक्ति और त्याग की मिसाल इन सभी लोगों को सलाम!