भारत और म्यांमार के बॉर्डर पर स्थित Moreh एक बेहद शांत और सुस्त शहर है लेकिन ये भारत के बाकी शहरों से अलग है.

ये शहर दक्षिणपूर्वी एशिया के लिए भारत का द्वार है. इसके अलावा इसकी मिश्रित सभ्यता जो कि सरहद के आस-पास बसी है, नायाब है. आपको यह बिल्कुल पता नहीं चल पाएगा कि आप भारत में हैं या म्यांमार में. भाषा, कपड़े, खाना, रहन-सहन सब एक दूसरे में घुलमिल चुके हैं.

रणनीतिक दृष्टि से दोनों देशों के लिए ये शहर बेहद महत्वपूर्ण है लेकिन इसकी ख़ासियत बॉर्डर के पास रहने वाले लोगों का आपसी संबंध है.

यहां जाने वाले लोगों के लिए एक दिन के लिए बॉर्डर क्रॉस करने की छूट दी जाती है. बस उनके पास उचित पहचान पत्र मौजूद हो. एक दिन के लिए दूसरी ओर जाने के लिए वीज़ा की ज़रूरत नहीं पड़ती. ये व्यवस्थता दोनों तरफ़ के लोगों के लिए है.

इससे Moreh जाने वाले भारतीय नागरिक म्यंमार के Namphalong और Tamu भी घूम सकते हैं. म्यंमार के इस इलाके में ज़्यादातर बौद्ध आबादी रहती है, नेपाल और भारत के कुछ लोग भी उस ओर जा कर बस गए हैं.

बॉर्डर के पास Indo-Myanmar Friendship Gate आने जाने वाले यात्रियों का स्वागत करने के लिए है.

यहां आपको अलग किस्म की पाक-कला को भी चखने का मौका मिलेगा जिसके बारे में आपने शायद कभी सुना भी न हो. मसलन, बॉर्डर पार करने के बाद आपको हर जगह Namphalong चेकपोस्ट के बाद ‘Thohk’ के स्टॉल मिलेंगे, देखने में ये भारतीय ‘चाट’ से काफ़ी मिलते-जुलते हैं, लेकिन स्वाद में बिल्कुल अलग.

कभी जाना संभव हुआ तो बिना Thimbodheeto और Lapetto खाए वापस मत आना. इसे स्टीम कर बनाया जाता है और इसके लिए स्थानीय मसालों का इस्तेमाल किया जाता है.

हां, यहां आपको भाषा की समस्या से दो-चार होना पड़ सकता है लेकिन नई जगहों पर घूमने वाले ऐसी चीज़ों से डरते नहीं हैं. आप भी बिंदास Moreh जाइए और एक दिन के लिए म्यांमार जाना मत भूलिएगा.