कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, इस बात का जीता-जागता उद्हारण हैं, गुजरात के विवेक पटेल, जो अभी यूएस में रहते हैं. भले ही वो अपनी देश की मिट्टी से 8 हज़ार मीलों की दूरी पर हैं, लेकिन उन्होंने साबित कर दिया कि अगर अपना कोई परेशान हो, तो उसकी मदद कहीं से भी की जा सकती है.

दरअसल, 14 फ़रवरी को हुए पुलवामा हमले में जो हमारे 40 से ज़्यादा जवान शहीद हुए. इनके परिवारवालों के साथ भारत के लोग है. इसके चलते लोग सरकार द्वारा निर्मित Bharat Ke Veer नाम की वेबसाइट पर अपनी क्षमता के अनुसार राशि देकर उनकी मदद कर रहे हैं. इसी क्रम में बढ़ते हुए विवेक, जो वर्जिनिया में Senior Business Analyst के पद पर कार्यरत हैं, वो भी शहीदों के परिवार के लिए आगे आए हैं. उन्होंने शहीदों के परिवारवालों को 5 करोड़ रुपये की मदद दी है.   

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इसके लिए विवेक अपने संपर्कों का लाभ उठाते हुए फ़ेसबुक प्रबंधकों से जुड़े. सिर्फ़ 12 घंटों के अंदर पटेल एक मिलियन डॉलर यानि 2,52,000 अमेरीकी डॉलर जुटाने में सफ़ल रहे.

विवेक की फ़ेसबुक Profile से जो जानकारी मिली है उसके आधार पर जो हमें पता चला वो आप तक पहुंचा रहे हैं: 

‘मैंने ने सरकारी वेवबसाइट Bharat Ke Veer पर Donate करने की कोशिश की थी, लेकिन वहां पर अमेरिका का क्रेडिट और डेबिट कार्ड मान्य नहीं था. इसलिए मुझे डोनेशन देने में समस्या आई.’

-Viveik Patel

इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लिया और फ़ेसबुक पर एक पेज बनाकर ज्यादा से ज़्यादा लोगों से राशि इकट्ठा करने की कोशिश की. हालांकि विवेक का लक्ष्य क़रीब 5 करोड़ रुपये का था, जो अब तक 5.75 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. इतना ही नहीं ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और कनाडा से भी लोग मदद करना चाहते हैं.

विवेक ने विदेश में बैठे-बैठे वहां के लोगों के सहयोग से जो मदद की उसको सरहाते हुए शिकागो बेस्ड एक इंडियन रेडियो ‘देसी जंक्शन’ ने विवेक को बुलाया और उनको बधाइयां दीं.

इस दौरान विवेक ने कहा, ‘हम सब भातरीय हैं. हम कहां रहते हैं क्या करते हैं, इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता आख़िर हम हैं, तो भारतीय. हमारे शहीद जवानों ने जो हमारे देश के लिए किया उसके आगे ये राशि कुछ भी नहीं है. ये सिर्फ़ एक छोटी-सी मदद है उनके परिवारवालों के लिए.’

विवेक ने ये भी कहा, ‘वो न्यूयॉर्क के Deputy Consulate General शत्रुघ्न सिन्हा के संपर्क में भी थे. साथ ही शिकागो और वॉशिंगटन डीसी में भारतीय वाणिज्य दूतावास से भी बात कर रहे थे. क्योंकि 18 फ़रवरी, सोमवार को राष्ट्रपति दिवस था, इसलिए अधिकांश बैंक भी बंद थे.’

विवेक की तरह इस दुख की घड़ी में हम सबको अपने शहीद जवानों का साथ देना चाहिए. क्योंकि ये देश हमारा है ये लोग हमारे हैं.