इस दुनिया में किसी भी इंसान का जीवन बिना मुश्किलों के नहीं गुज़रता. लाख मुश्किलों के बाद भी कुछ लोग अपने हालात बदलने में कामयाब होते हैं.
हर इंसान में अपने हालात बदलने की क्षमता होती है, बस ख़ुद पर विश्वास और हिम्मत रखने की ज़रूरत होती है.
वो 15 साल की थी. बेघर और बेरोज़गार. पर उसके पास अपने हालात से बाहर निकलने की इच्छाशक्ति थी.
पारिवारिक मतभेदों की वजह से उसने एक दिन अपना घर छोड़ दिया. जेब में सिर्फ़ 300 रुपए रखे और अपने सपनों को पूरा करने चल पड़ी. एक दरवाज़े से दूसरे दरवाज़े जा जा कर सेल्स वुमन का काम करने से लकर वेट्रेस का काम करने और अब Rubans Accessories की मालकिन होने तक, चीनू काला ने एक बहुत लम्बा सफ़र तय किया है. लेकिन आज भी वो एक ऐसी लड़की है जिसने कभी भी अपने हालातों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया.
The Better India से की गई बातचीत में चीनू बताती है,
अगर आप आज मुझसे पूछें कि मुझे कहां से हिम्मत मिली, तो मैं सही मायने में इसका जवाब नहीं दे सकती. मुझे सिर्फ इतना पता था कि मुझे कुछ करना है. मेरे पास केवल दो जोड़ी कपड़े और एक जोड़ी चप्पल थी. पहले दो दिन मैं खोई और डरी हुई थी. मुझे ठीक होने में दो-तीन लग गए. तब मुझे रहने के लिए एक कमरा मिला जहां पांच से छः लोग साथ रहते थे.
जिस कमरे में चीनू रह रही थी वहां उससे प्रति रात/प्रति गद्दे का 20 रुपये लिया जा रहा था और ये भी एक संघर्ष था.
चीनू को नौकरी मिलने में कुछ दिन लगे. उसे चाकू-सेट, कोस्टर और अन्य घरेलू सामान एक सेल्सवुमन की तरह एक दरवाज़े से दूसरे दरवाज़े जा-जा कर बेचने की नौकरी मिली थी. वो ज़्यादातर एक दिन में 20 रुपये से लेकर 60 रुपये कमा लेती थीं.
आपको यह याद रखना होगा कि यह 90 के दशक के अंत में था और यह बहुत अलग समय था. कोई भी जाकर घंटी बजाकर लोगों से सम्पर्क कर सकता था. हालांकि, हर दरवाज़े के साथ जो मेरे चेहरे पर बंद होता था और हर अस्वीकृति का सामना करने पर, मैं लगभग शॉक प्रूफ़ और बहुत मजबूत हो गई थी.
एक साल बाद, चीनू को प्रमोशन मिला और 16 साल की उम्र में वो तीन और अन्य लड़कियों को प्रशिक्षित कर रही थी.
चीनू हमेशा से एक बिज़नेस पर्सन होने की आशा से प्रभावित रहती थीं.
मैं हमेशा एक व्यवसाय की मालकिन बनना चाहती थी. मैं सफल होना चाहती थी. एक समय था जब मेरे लिए सफलता का मतलब सिर्फ़ एक दिन का खाना होता था.
15 साल की उम्र में घर छोड़ने के बाद, चीनू के पास कोई औपचारिक शिक्षा नहीं थी और उन्होंने जो भी कुछ सीखा वो व्यावहारिक अनुभवों के माध्यम से सीखा.
बाद में उन्होंने एक रेस्तरां में वेट्रेस की नौकरी की. अपनी हर नौकरी के साथ उन्होंने कुछ न कुछ सीखा और आने वाले तीन साल में वो आर्थिक रूप से भी मजबूत हो गई.
2004 में उसने अमित कला से शादी कर ली, उसके जीवन का सबसे बड़ा सहारा और बेंगलुरु चली गई. दो साल बाद उसने अपने दोस्तों के कहने पर ग्लैडरैग्स मिसेज़ इंडिया पेजेंट में हिस्सा लिया.
सुपर अचीवर्स के साथ एक कमरे में रहने की कल्पना करें – मैंने अपनी शिक्षा भी पूरी नहीं की थी और यहां मैं ऐसे लोगों के बीच थी, जिन्होंने इतना सब कुछ किया हुआ था. यह भयानक था! मैं बहुत ज़्यादा पढ़ाई किए हुए लोगों के साथ थी, लेकिन किसी तरह मैंने अपने आप को संभाला. मेरे अनुभवों ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है.
चीनू उस पेजेंट की फ़ाइनलिस्ट में से एक थी और इसके साथ ही उसके जीवन में और अवसर आए.
मैंने हमेशा से फ़ैशन से प्यार किया है पर मेरे पास कभी इतने पैसे नहीं थे कि में अपने लिए कुछ खरीदूं
एक मॉडल के रूप में काम करने और फ़ैशन इंडस्ट्री का हिस्सा होने के दौरान, चीनू ने देखा कि फ़ैशन इंडस्ट्री में फ़ैशन की ज्वेलरी के लिए एक स्पेस है और इस ही स्पेस को चीनू को भरना था.
जब मैंने 2014 में अपनी कंपनी शुरू की, तो यह मेरे दिमाग में एक विचार से ज़्यादा कुछ नहीं था. यहां तक कि बेंगलुरु में 6 x 6 फीट का स्थान पाना भी एक संघर्ष था. ये सब संभालने में मुझे 6 महीने लग गए.
Rubans एथनिक से लेकर वेस्टर्न ज्वेलरी तक बनाता है. इसकी कीमत 229 से लेकर 10,000 रुपये तक होती है. बेंगलुरु से शुरू हुआ ये ब्रांड धीरे-धीरे कोची और हैदराबाद तक फैल गया.
चीनू सभी प्रकार के डिजाइनरों के साथ काम करती है और विभिन्न लुक्स बनाती है.
शुरू में ऐसा कोई मॉल नहीं था जो हम पर भरोसा करे और हमें कोई स्थान दे – एक मैनेज़र के लगातार छः महीने पीछे पड़ने पर मुझे कोरमंगला के फोरम मॉल में एक जगह मिली.
सभी रिजेक्शन्स के बावज़ूद, चीनू का उसके काम के प्रति विश्वास था जिसकी वजह से वो ये सब कर पा रही हैं.
साल 2016-17 में हमारी आय 56 लाख रुपये थी. अगले साल ये मुनाफा 670 प्रतिशत बढ़ गया, 3.5 करोड़ रूपए तक. पिछले वर्ष हमने 7.5 करोड़ रुपये की आय अर्जित की.
अपने इस पूरे सफ़र के बारे में बात करते हुए चीनू कहती है,
मेरा मानना है कि काम का हर दिन हमे थोड़ा आगे बढ़ने में मदद करे फिर चाहे वो सीखने के रूप में हो, कोई एक ख़ास विषय पर हो या पैसों का लाभ हो. मैं कभी नहीं भूलती की मैंने कहां से शुरुआत की है. आज में 25 लोगों को आय देती हूं. ये एहसास अद्भुत है. मैं कड़ी मेहनत में यकीन रखती हूं और जो लोग मेरे ब्रांड से जुड़े हैं उनसे भी इसी बात की उम्मीद रखती हूं.
चीनू की ये कहानी हमे ये सिखा कर जाती है कि इंसान में कुछ कर दिखाने की चाह हो तो दुनिया की कोई भी ताकत नहीं रोक सकती है.