हमारा देश जितना अपनी सभ्यता और संस्कृति के लिए जाना जाता है, उतना ही गंदगी के लिए भी जाना जाता है. हम भारतीयों की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि हम अपने देश की तुलना विदेशों से तो करते हैं, लेकिन बस उनकी तरह Rule Follow नहीं करना चाहते. साफ़-सुथरी सड़कों पर गंदगी फ़ैलाने में तो, जैसे हमें अपार अंनाद की प्राप्ती होती है.

करीब 3 साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मिशन स्वच्छ भारत’ अभियान की शुरुआत की थी. इस अभियान के ज़रिए PM ने देश की जनता से सड़कों पर गंदगी न फैलाने की अपील की थी. इस अभियान में बड़ी-बड़ी हस्तियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.

धर्म नगरी ‘वाराणसी’ की पवित्रता हमेशा देश-दुनिया के लोगों को आकर्षित करती है, लेकिन इस शहर की ख़ूबसूरती पर बस एक ही दाग है ‘गंदगी’. वहीं अब धर्म नगरी की कायापलट का जिम्मा आईआईटी मद्रास की पूर्व छात्रा ने उठाया है.

शिखा शाह नाम की इस छात्रा ने ये कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरित होकर उठाया है. शिखा ने एक स्टार्टअप की शुरुआत की है, जिसको नाम दिया स्क्रैपशाला. अब आप सोच रहे होंगे स्क्रैपशाला क्या है और इससे वाराणसी में क्या बदलाव हो सकता है. दरअसल ये शहर भर के कबाड़ को ख़ूबसूरत रूप देने की ये अनोखी पहल है.

आपको ये जानकारी हैरानी होगी कि वाराणसी को कचरा मुक्त बनाने के लिए शिखा ने अपनी लाखों की नौकरी छोड़ दी. शिखा शाह नगर निगम के कबाड़ से काशी के हर घर को संवारने की कोशिश कर रही हैं.

इतने सुंदर क्राफ्ट्स, जिन्हें देख कर किसी को भी यकीन नहीं होता कि कबाड़ से भी इतनी आकर्षक और उपयोगी वस्तुएं बनाई जा सकती हैं.

कबाड़ से बनी ख़ूबसूरत चीजों को वो फ़ेसबुक, स्नैपडील जैसी साइट्स के ज़रिए बेच रही हैं.

इतना ही नहीं, वो काम के जरिए काफ़ी लोगों को रोज़गार देकर आर्थिक तौर पर उनकी मदद भी कर रही हैं.

तो देर किसी बात की है? आप भी स्वच्छता की ओर एक कदम बढ़ाइए और अपने घर के कबाड़ को सड़कों पर फेकने के बजाए इसका सही इस्तेमाल कीजिए.