ऊंचाइयां इरादों से हासिल होती हैं और इरादे मज़बूत हों तो आकाश भी आपकी मुट्ठी में आ सकता है. अपनी मेहनत, लगन और ईमानदारी से इन अधिकारियों ने समाज को बदलने का बीड़ा उठाया. तमाम ज़िम्मेदारियों के बावजूद इन्होंने समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए नए तरीके अपनाए, और उन तरीकों ने इन्हें अलग पहचान भी दिलाई.

सलाम! 2017 के उन 10 प्रेरणादायक अधिकारियों को जिनकी लोकप्रियता और ईमानदारी हमें गौरव से भर देती हैं.

1. पारसनाथ नायर

पारसरनाथ नायर 2007 केरल कैडर के आईएएस अधिकारी हैं, जिन्हें हाल ही में राज्य मंत्री के सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है. नायर ने कोझिकोड का कलेक्टर बन लोगों की परेशानियां कम करने के लिए कई मुद्दों को न सिर्फ़ दोबारा से उठाया, बल्कि सार्वजनिक रूप से उन पहलुओं पर सराहनीय काम भी किया.

नायर ने ऑपरेशन सुलेमानी, तेरे मेरे बीच में और यो अपोपा जैसी बड़ी परियोजना पर काम कर लोगों की ज़िंदगी बदलने का प्रयास किया, बल्कि उन्हें सफ़ल बनाक्रर अंजाम तक भी पहुंचाया. ये अधिकारी के काम और मेहनत का ही नतीजा है कि आज जनता उन्हें सम्मान से ‘कलेक्टर ब्रो’ कह कर बुलाती है.

2. पोमा टुडू

ओडिशा के नुआपड़ा जिले की कलेक्टर डॉ. पोमा टुडू के प्रयासों की जितनी सराहना की जाए कम है. वो प्रतिदिन करीब दो घंटे का सफ़र तय कर लोगों की शिकायतें सुनने के लिए जाती हैं. इस तरह का समर्पण लोक सेवकों के लिए आदर्श है. दिल्ली के ‘Lady Hardinge Medical College’ से स्नातक करने वाली पोमा 2012 बैच ओडिशा कैडर की आईएएस अधिकारी हैं.

पोमा का मकसद गांव में लोगों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया करना है. दिचलस्प बात है कि वो उन्होंने अबतक किसी को अपना रोल मॉडल नहीं बनाया. बताया जाता है कि आदिवासी परिवार से कॉलेज और बैंक में नौकरी पाने वाली पहली महिला थीं.

3. सुरेंद्र कुमार सोलंकी

ग्यारहवें सिविल सेवा सर्विसेज़ दिवस पर आयोजित समारोह में उत्कृष्टता के लिए डूंगरपुर के ज़िला कलेक्टर सुरेन्द्र कुमार सोलंकी को प्रधानमंत्री एक्सीलेंस अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है. ये पुरस्कार आदिवासी अंचल में महिला इंजीनियर्स के माध्यम से सोलर लैम्प प्रोजेक्ट का नवाचार करने के लिए प्रदान किया गया था.

समाज के बदलाव के लिए काम करने वाले सोलंकी ने पिछले उदयपुर के मुस्कान शेल्टर होम से Chhaya Pargi नामक एक लड़की को भी गोद लिया था, जिसे उसकी चाची के अत्याचार ने घर से भागने पर मजबूर कर दिया. वहीं अधिकारी को जब इस बात का पता चला, तो उन्होंने बच्ची को गोद ले उसका भविष्य संवारने का वचन दिया.

4. मीर मोहम्मद अली

अप्रैल 2017 में केरल का कन्नूर भारत का पहला प्लास्टिक मुक्त ज़िला बन गया, जो काम सालों से कोई नहीं कर पाया. वो काम मीर मोहम्मद अली ने महज़ पांच महीनों में कर दिखाया. मीर मोहम्मद अली 2011 केरल कैडर बैच के अधिकारी हैं. इस विषय पर बात करते हुए वो बताते हैं कि पिछले साल नवंबर में उन्होंने पूरी तरह से प्लास्टिक बैग और डिस्पोज़ल ख़त्म करने के लिए अभियान शुरु किया था. इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी परियोजना को कामयाब बनाने के लिए लोकल दुकानदारों को प्लास्टिक बैग इस्तेमाल न करने की सलाह देते हुए, ऐसा करने वालों को दंडित करने की चेतावनी भी दी थी.

ये अधिकारी की ही मेहनत का नतीजा है कि कन्नूर में प्लास्टिक बैग पूरी तरह से बैन हैं.

5. परिकिपंदला नरहरि

मध्यप्रदेश कैडर 2001 बैच के आईएएस अधिकारी पी. नरहरि को हाल ही विकलांगों के लिए उत्कृष्ट कार्य करने के लिए NCPEDP-Mphasis Universal Design Awards 2017 से सम्मानित किया जा चुका है. ग्वालियर में नरहरि के कार्यकाल में स्कूल फ़ीस वृद्धि का मामला चर्चा में रहा, उनके प्रयास से 92 स्कूल संचालकों ने इस साल फ़ीस नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया.

ज़िला कलेक्टर के तौर पर उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया. इनमें बीआरटीएस का चौड़ीकरण, मेट्रो प्रोजेक्ट, खान नदी किनारे से अतिक्रमण हटवाना जैसे कई मुद्दे हैं.

6. भारती हॉलिकेरी

हाल ही के महीने में तेलंगाना के मेडक ज़िला स्थित प्राइमरी हेल्थ सेंटर में चेकअप के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं को लंच मुहैया कराने की घोषणा की गई. इस योजना की सबसे अच्छी बात ये थी कि इसके लिए सरकार पर किसी भी तरह का अतिरिक्त भार नहीं डाला,गया क्योंकि ये भोजन आंगनवाड़ी से आ रहा था.

समाज और महिलाओं का हित सोचने वाली कलेक्टर भारती ने महसूस किया कि गर्भवती महिलाएं चेकअप के लिए सुबह जल्दी घर से निकलती हैं और देर शाम घर पर पहुंचती हैं. ऐसे में मुमकिन है कि वो दोपहर का खाना नहीं खा पाती, जो कि उनकी सेहत के लिए काफ़ी हानिकारक है, जिसके चलते उन्होंने हेल्थ सेंटर आने वाली महिलाओं को भोजन मुहैया कराने का फ़ैसला लिया. इतना ही नहीं भारती ने स्वच्छता अभियान से लेकर ज़िले में कई सकारात्मक परिवर्तन किए जो बेहद सराहनीय हैं.

7. पीएस प्रद्युम्ना

Palle Nidra प्रोग्राम के तहत एक लाख टॉयलेट बनवाने वाले प्रद्युम्ना अपने अनोखे कामों के लिए जाने जाते हैं. इनकी अच्छी योजनाओं और समावेशी पहलों ने आंध्र प्रदेश ज़िले को एक नया विकास दिया है. इतना ही नहीं, आईएएस अफ़सर ने महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए शैक्षिक संस्थानों, बस स्टॉप जैसी तमाम जगहों पर निर्भया पैट्रोलिंग नामक एक लोकप्रिय प्रोग्राम भी चलाया. इसके अलावा अधिकारी ने किसानों के हित के लिए भी कई काम किए.

8. सौरभ कुमार

युवा IAS सौरभ कुमार दंतेवाड़ा क्षेत्र में इतना बेहतर कार्य कर रहे हैं कि राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार भी उनके कार्यों की प्रशंसा करती रहती है. दंतेवाड़ा का कलेक्टर बनने के बाद से ज़िले की विकास की रफ़्तार तेज़ हुई है. यहां पर नक्सलवादी गतिविधियां पहले से कम हुई हैं. सौरभ कुमार दंतेवाड़ा में 13 अप्रैल 2015 से कलेक्टर के रूप में कार्यरत हैं और लगातार अच्छे कार्य कर रहे हैं. वो शासन की सभी योजनाओं को पूरी जिम्मेदारी के साथ बेहतर ढंग से लागू करवा रहे हैं. चाहे वो साईकल वितरण हो या मध्यान भोजन हो.

इसी तरह से केंद्र सरकार की कैशलेस योजना में बेहतर कार्य के लिए उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है. सौरभ कुमार ने कड़ी मेहनत से बिना मोबाइल नेटवर्क के दंतेवाड़ा के एक गांव ‘पालनार’ प्रदेश का पहला कैशलेस सेंटर बनाकर दिखाया.

9. रोनाल्ड रोज़

IAS रोनाल्ड ने तेलंगाना के महबूबनगर ज़िले में विकास के कुछ नए रिकॉर्ड बनाए हैं. गांवों में तेज़ी से खुलते शौचालय और किसानों के बदलते जैविक तरीके सबूत हैं इस बात कि रोनाल्ड की मेहनत रंग ला रही है. रोनाल्ड ने ज़िले में कुछ अद्भुत परिवर्तन किए, जिससे वहां का विकास साफ़ तौर पर देखा जा सकता है.

10. रोहिणी आर

हाल ही में रोहिणी सलेम ज़िले की नई कलेक्टर नियुक्त की गईं, स्थानीय लोगों के लिए ये किसी सेलिब्रेशन से कम नहीं था. ज़िला कलेक्टर बनते ही रोहिणी ने क्षेत्र में कई बदलाव किए. अचानक से अस्पतालों में जाकर मरीज़ों का हाल चाल लेती हैं. Whatsapp के माध्यम से लगातार अधिकारियों के संपर्क में रहती हैं. स्कूली छात्रों से बातचीत से लेकर लोगों की शिकायत सुनने तक वो व्यक्तिगत रूप से ग्रामीणों इलाकों में जाती हैं. इसके साथ ही उन्होंने ऑफ़िस के अंदर प्लास्टिक की पॉलीथिन और बैग पर प्रतिबंध लगा रखा है.