बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है दशहरा. लेकिन दशहरे पर कुछ लोग एक-दूसरे को नीलकंठ पक्षी की तस्वीर भेजते हैं. इसका दशहरे से क्या लेना-देना है कभी सोचा है आपने? नहीं, चलिए हम आपको बताए देते हैं. 

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नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का प्रतिनिधि माना गया है. उन्हें भी इस नाम से पुकारा जाता है. दशहरे के दिन इसका दिखना शुभ माना जाता है. इस दिन नीलकंठ के दर्शन होने से पूरा साल शुभ होता है और घर में धन-धान्य का आगमन होता है.

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उत्तर भारत में एक कहावत है- ‘नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध-भात का भोजन करियो, हमरी बात राम से कहियो.’

नीलकंठ के दिखाई देने पर इसे कहा जाता है. इसके ज़रिये वो अपनी प्रार्थनाएं ईश्वर तक पहुंचाते हैं. कहते हैं कि जब भगवान राम जब लंका जा रहे थे तब रास्ते में उन्हें नीलकंठ के दर्शन हुए थे. इसलिए भी वो रावण पर विजय हासिल कर पाए. 

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यही कारण है कि इस दिन लोग एक-एक दूसरे को सोशल मीडिया के ज़रिये नीलकंठ पक्षी की तस्वीरें भेजते हैं. वहीं कुछ जगहों पर लोग इस पक्षी को बहेलियों से ख़रीद कर उड़ाते भी हैं. इसे भी लोग शुभ मानते हैं. लेकिन इस परंपरा के चलते बहेलिये बड़ी मात्रा में नीलकंठ का शिकार करते. इसके कारण इस पक्षी के ऊपर ख़त्म होने का ख़तरा मंडरा रहा है. 

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नीलकंठ आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, ओडिशा और तेलंगाना का राजकीय पक्षी है. इसे किसानों का मित्र कहा जाता है. क्योंकि ये खेतों में पाए जाने वाले कीड़ों को खाकर फसलों की रक्षा करता है.