ख़ुफिया एजेंसी किसी देश की सुरक्षा में बहुत ही अहम रोल निभाती है. भारतीय ख़ुफिया एजेंसी का नाम है रॉ यानि Research And Analysis Wing (RAW). फ़िल्मों के माध्यम से आपने इसके बारे में थोड़ी बहुत जानकारी हासिल की होगी. चलिए आज आपको देश के इस महत्वपूर्ण ख़ुफिया विभाग से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताते हैं.
1. कोई नहीं जान पाता रॉ एजेंट के बारे में.
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एक Raw एजेंट का राज़ उसके साथ ही दफ़न हो जाता है. यहां तक कि उसकी पत्नी को भी नहीं पता होता कि वो एक जासूस है.
2. Raw Vs ISI
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एक बार पाकिस्तान की ख़ुफिया एजेंसी ISI भारत को मात देने का प्लान बना रही थी. वो पूर्व पीएम राजीव गांधी का प्लेन हाइजैक करने की फ़िराक में थी. लेकिन रॉ ने अपने जासूस के ज़रिये उनके सारे प्लान पर पानी फेर दिया था.
3. कारगिल युद्ध
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पाकिस्तानी आर्मी हमेशा कारगिल में घुसपैठ की बात को नकारती रही है. कारगिल युद्ध के दौरान Raw पाकिस्तानी सेना अध्यक्ष परवेज़ मुशर्रफ़ की बातें रिकॉर्ड करने में कामयाब रही थी. बाद में इसे सुबूत के तौर पर पेश किया गया था
4. ऑपरेशन मेघदूत
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1984 में Raw को पता चला था कि पाकिस्तानी आर्मी सियाचीन में घुसपैठ करने वाली है. इसकी जानकारी उन्होंने समय से पहले इंडियन आर्मी को दे दी. भारतीय सेना ने ऑपरेशन मेघदूत लॉन्च कर पाकिस्तान के मंसुबे पर पानी फेर दिया.
5. उनके बारे में कोई ख़बर नहीं छपती
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किसी भी अख़बार या न्यूज़ चैनल में आपको Raw के बारे में कोई ख़बर नहीं सुनने को मिलेगी फिर चाहे उन्होंने कितने ही बड़े कारनामे को अंजाम क्यों न दिया हो. वो हमेशा अपने काम को सीक्रेट रखते हैं.
6. Raw के एजेंट को गन नहीं मिलती
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Raw के एजेंट को कभी भी हथियार नहीं दिया जाता. उनका सबसे बड़ा हथियार उनकी बुद्धि होती है. जब तक ज़रूरी न हो उन्हें गन मुहैया नहीं कराई जाती है.
7. ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा
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भारत ने अपने न्यूक्लियर टेस्ट के मिशन को सीक्रेट रखने का जिम्मा भी Raw को ही सौंपा था. उन्होंने अमेरिका की ख़ुफिया एजेंसी सीआईए को चकमा देकर भारत को न्यूक्लियर टेस्ट करवाने में सफ़लता हासिल करवाई थी.
8. कैसे होती है जासूसों की भर्ती
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Raw अपने जासूसों का सेलेक्शन आईबी, इंडियन पुलिस फ़ोर्स और इंडियन आर्मी से करती है. वो डायरेक्ट रिक्रुटमेंट नहीं करती.
9. Raw एक एजेंसी नहीं, बल्कि एक विंग है. इसलिए ये संसद के प्रति जवाबदेह नहीं है.
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10. Raw पर आरटीआई का क़ानून लागू नहीं हो सकता.
11. इसके जासूसों को कठिन ट्रेनिंग दी जाती है. इसके लिए उन्हें दुनिया के कई देशों में भेजा जाता है. उन्हें सेल्फ़ डिफ़ेंस और तकनीकी जासूसी उपकरणों को इस्तेमाल करने की पूरी ट्रेनिंग दी जाती है.