जुगाड़! ये शब्द सुनते ही दिमाग में एक बिजली से कौंध जाती है. अचानक ही शरीर की सारी इन्द्रियां सक्रिय हो जाती हैं. अब क्या करें, ये एक ऐसा सब्जेक्ट है, जिसमें हर भारतीय टॉपर है. आपने अपने आस-पास कई ऐसे तगड़े जुगाड़ देखे होंगे, जिन्हें देखकर आपका मन गदगद हो उठता होगा. और यकीन कीजिए इस काम में विदेशी भी हमें बराबर टक्कर दे रहे हैं. हो सकता है कि जुगाड़ का ज्ञान उन्होंने हमसे ही लिया हो, पर आज के ज़माने में वो हमसे चार कदम आगे निकल गये हैं.
आइये आपको दिखाते हैं कुछ ऐसी तस्वीरें, जिन्हें देख कर आपके दिल में जुगाड़ के प्रति और श्रद्धा बढ़ जाएगी.
हर टूटी चीज़ जोड़ी जा सकती है.
घर में ले सकते हैं बाहर का मज़ा.
बड़े काम की चीज़ है ये टेप.
बिना खर्च के भी समाधान संभव है.
जी! ये है जुगाड़ का कंजूस इफ़ेक्ट.
मैकेनिक की क्या ज़रूरत, जब घर में पड़ा हो सामान.
ऐसे मिलेगी चारों ओर से हवा.
जब कम पैसों में काम चल रहा है तो पैसे क्यों बहायें?
अब जा कर दिखा बेटा तू .
कपड़े गिरने से पहले सोचेंगे.
पर्दा लगाने से पहले जुगाड़ लगाना पड़ता है.
रास्ते हों न हों, मंज़िल मिलेगी ज़रूर.
डरो मत, ये नरक का चूल्हा नहीं, जुगाड़ी चूल्हा है.
ये बस जुगाड़ पर ही ज़िन्दा है.
बिना जुगाड़ के ये पक्का कबाड़ है.
कौन कहता है कि फीते बस जूते में ही लगते हैं.
ये किसी इंजीनियरिंग कॉलेज के लड़के ने बनाई होगी.
ये स्वच्छ भारत अभियान वाला जुगाड़ है.
क्या भरोसा कार का, कब ख़राब हो जाए, स्कूटर तो चलेगा न.
रिपेयर करवाना था, तभी जुगाड़ी दिमाग लग गया.
अब ये सरकारी जुगाड़ लगता है.
कुछ भी टूटे, ये सब चिपका सकता है.
बड़ी गर्मी थी और गाड़ी में एसी भी नहीं था, फिर…
चचा थोड़ा खर्च कर लो, तुमने तो हद कर दी है.
बस यही देखना बाकी रह गया था.
अब हवा भरने के लिए मुंह क्यों दुखाना.
ये आदमी है जुगाड़ी नंबर वन.
वो कील तो बचा लेगा, पर तेरा क्या होगा कालिया?
इसे कहते है एक पंथ दो काज.
ये साइकिल तो रमेश-सुरेश की लगती है.
कैसे लगे आपको ये अनोखे जुगाड़? कमेंट बॉक्स में बताइए कि आपको सबसे अच्छा जुगाड़ कौन सा लगा.