पूरी दुनिया में आॅर्गन ट्रांसप्लांटेशन के लिए जो सबसे बड़ी समस्या है, वो डोनर की कमी है. अमेरिका के आकड़ों की बात करें तो करीब 75,968 लोग डोनर न होने की वजह से ट्रांसप्लांटेशन की वेटिंग लिस्ट में हैं.

इस समस्या का समाधान करने के लिए Stem Cell Technology का आविष्कार हुआ. इस टेक्नोलॉजी से किसी प्रजाती के जीव के शरीर में किसी अन्य जीव का अंग विकसित किया जाता है, उसके बाद उसे दूसरे के शरीर में ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है. एक वेबसाइट Nature में छपी रिर्पोट के अनुसार, अब ये भी मुमकिन है कि इंसान के शरीर में विकसित होने वाले टिश्यूज़ किसी और जीव के शरीर पर भी विकसित हो सकते हैं.

शोधकर्ता Hiromitsu Nakauchi और उनके सहयोगियों ने चूहों पर इसका प्रयोग करके ये साबित किया. 

इस टीम ने बड़े चूहे (40 cm और लम्बे) के शरीर में Pancreatic Islets विकसित कर, उसे डायबटीज़ से ग्रसित छोटे चूहे (12 से 20 cm लम्बे) के शरीर में डाला, जिससे उसके शरीर में इंसुलिन की कमी पूरी हो गई और वो ज़्यादा दिन तक जीवित रहा.

आपकी जानकारी के लिए हम बता दें कि Pancreatic Islets या Islets Of Langerhans, पेट के निचले भाग Pancreas में मौजूद होते हैं. ये छोटे-छोट कण होते हैं, जो शरीर में इंसुलिन हारमोन छोड़ते हैं, इन Islets की कमी से एक तरह की डायबटीज़ होती है.

टीम ने इसके बाद छोटे चूहों की Pluripotent Stem Cells, बड़े चूहे के भ्रूण में इंजेक्ट किए, जो अपने Pancreas विकसित करने में सक्षम नहीं थे. Pluripotent Stem Cells वो Cells होते हैं, जो भ्रूण से निकलते हैं और खुद ही इनकी संख्या बढ़ती जाती है.

ट्रांसप्लांटेशन के बाद ये पाया गया कि डायब​टीज़ ग्रस्त चूहे के खून में ग्लूकोज़ का स्तर एक साल तक बना रहा.

इस रिसर्च से इंसानी अंगों के बेहतर ट्रांसप्लांटेशन को एक उम्मीद मिली है

इस रिसर्च को अगर इसानों पर लागू कर के देखा जाए तो दूर कहीं एक उम्मीद की किरण दिख रही है. अभी ये साबित नहीं हुआ है कि मनुष्य पर ये संभव होगा या इतनी तादाद में मुमकिन है कि नहीं, लेकिन काफ़ी हद तक संभव है. इंसान के अंगों को उन जानवरों में ​ही विकसित किया जाएगा, जिनके अंग इंसान जैसे दिखते हैं और बढ़ते हैं, जैसे भेड़, सुअर आदि. इससे पहले चूहे के शरीर पर इंसानी कान विकसित किया जा चुका है, हांलाकि वो ट्रांसप्लांट आज तक नहीं हुआ.

Nakauchi और टीम ने ये साबित किया है कि Pluripotent Stem Cells में Replacement Cells और Tissues बनाने की क्षमता है. उन्होंने ये भी साबित कर दिया कि ये Cells ट्रांसप्लान्ट के बाद लम्बे समय तक आम तरह काम कर सकते हैं और मनुष्य के लिए भी इस्तेमाल हो सकते हैं.