‘हरम‘ वो जगह होती है जहां कोई पुरुष अनेक स्त्रियों को रखता है. इतिहास से मिली जानकारी के अनुसार यह पता चलता है कि 19वीं सदी में ईरान के नासिर अल-दिन शाह कजर की 100 से भी ज़्यादा रानियां थीं, जिन्हें वे ‘हरम’ में रखते थे. इस ‘हरम’ में अन्य मर्दों का जाना मना होता था. हरम में रहने वाली रानियां कैसी दिखती थीं और कैसे अपना जीवन व्यतीत करती थीं? ये सवाल उठना लाज़िमी है.
यहां हम आपको उन रानियों की कुछ तस्वीरें दिखा रहे हैं, जिनकी लाइफस्टाइल आज की महिलाओं के मुकाबले बेहद अलग था. तस्वीरों को देख कर पता चलता है कि उस दौर में सुंदरता और नारीत्व के मायने आज से काफी अलग थे. उन्होंने रानी की तस्वीरों को खुद ही कैमरे में समेटा है, क्योंकि किसी दूसरे पुरुष को इसकी इजाज़त नहीं थी. तो देखिए एक ऐसे दौर की ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरें, जहां महिलाओं की सुंदरता उनके गोरे रंग, ज़ीरो फिगर, डिज़ाइनर कपड़ों और उस सारी बनावटी खूबसूरती से परे, बेहद सादी और वास्तविक थी.
1. 47 सालों तक ईरानी राज्य पर शासन करने वाले शाह कजर फोटोग्राफी के बड़े शौक़ीन थे. यही कारण था कि करीब 3,000 साल लंबी ईरानी राजशाही में ये पहली बार हुआ कि किसी शाह ने हरम में फोटोग्राफ़र नियुक्त किया हो.
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2. अपने यूरोप के दौरे पर पियानो देख कर उसे अपने यहां मंगवाने वाले शाह की तमाम रानियों से कई संतानें थीं. उनकी पत्नी ताज अल-दोहले की बेटी इस्मत अल-दोहले (तस्वीर में) ईरान में पियानो बजाने वाली पहली महिला थीं.
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3. अनिस अल-दोलेह और ताज अल-दोलेह शाह की वो पत्नियां थी जिनसे वो बाकी रानियों के मुकाबले ज़्यादा प्रेम करते थे. इनकी तस्वीरों में रानियों के चेहरे पर मूंछें इसलिए नज़र आती हैं, क्योंकि उस समय चेहरे के बालों को हटाने का चलन नहीं था.
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4. शाह नासिर के शासन काल (1848-1895) में उनके हरम में खींची गई तस्वीरों में दिखने वाली महिलाएं सुंदरता के आज के मानदंडों से काफी अलग दिखती हैं. रानियों की घनी भौंहें और मूंछें खूबसूरत मानी जाती थीं. महिलाएं मेकअप कर इन लक्षणों को उभारती थीं.
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5. 19वीं सदी की इन तस्वीरों में शाह के बचपन से लेकर जवानी तक की छवियां हैं. अपने दरबार में उन्होंने दुनिया का पहला ऑफिशियल फोटो स्टूडियो स्थापित करवाया. 1870 के दशक में शाह ने रूसी फोटोग्राफर आंतोन सेवरीउगिन को अपने दरबार का आधिकारिक फोटोग्राफर नियुक्त कर लिया.
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6. रूसी फोटोग्राफर शाह और उनके पुरुष संबंधियों की तस्वीरें ले सकता था लेकिन हरम में फोटोग्राफी केवल शाह खुद करते थे. वे इन तस्वीरों को डेवलप भी खुद करते थे और फिर फोटो को बड़े एलबमों में गुलिस्तां महल में सजा कर रखते थे. यहां आज संग्रहालय है.
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7. खास तरह की ‘शालितेह’ स्कर्ट जैसी पोशाक पहने दिखती अनिस अल-दोलेह जैसी रानियों के चेहरों की तस्वीरें लेना उस समय की शिया परंपरा के उलट था. उनके धर्म में लोगों के चेहरे खासकर महिलाओं के चेहरे दिखाने पर पाबंदी थी. जाहिर है देश का सबसे शक्तिशाली शाह ही ऐसा करने की हिम्मत कर सकता था.
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8. हरम के बारे में जो भी सोचा जाता हो, लेकिन तस्वीरों से लगता है कि महिलाएं मिलजुल कर रहती थीं. पिकनिक जैसे आयोजन करती थीं और तस्वीरें खिंचवाना कोई शर्म वाली बात नहीं समझती थीं.
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9. ज्यादातर औरतों के भारी भर-कम शरीर को देखकर लगता है कि इसे ही सुंदर माना जाता था. महिलाएं छोटी और खूब सजी हुई स्कर्ट पहनती थीं जो आजकल बैले डांस में पहने जाने वाले ‘टूटू स्कर्ट’ जैसी दिखती थीं. इसके अलावा लंबी कढ़ाईदार पोशाकें भी दिखती हैं.
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10. इस्मत अल-दोलेह अनार चुनती हुई. शाही एलबम में ऐसी कई तस्वीरें हैं जो उस समय रानियों की रोज़ाना की जिंदगी के हर छोटे-बड़े पल को कैद करती हैं.
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11. उस काल में मलेरिया बहुत जानें लेता था. 1905 में राजकुमारी एस्मा उल-दोलेह की मलेरिया से मौत होने के बाद की इस तस्वीर में सभी संबंधी गहरे रंग के कपड़ों में शोक मनाते हुए.
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