मैंने बचपन से ये बात सुनी कि हमेशा ख़ुद से ज़्यादा दूसरों के बारे में सोचो, ख़ुद से ज़्यादा दूसरों से प्यार करो. और मैं इसी सोच के साथ बड़ी हुई.

मैंने कभी भी ख़ुद से प्यार करना नहीं सीखा, या ये कह लीजिए कि मैं कभी भी अपनी पहली पसंद नहीं थी.   

मेरे अंदर ऐसी बहुत सी बातें थीं, जो मुझे पसंद नहीं थी. शुरुआत के लिए मुझे मेरे कद से हमेशा से ही दिक़्क़त रही है. मैं 5 फुट से भी कम की हूं. मुझे हमेशा ये बात परेशान करती थी कि मेरा कद छोटा है, इसलिए मुझे हमेशा एक समझौता करना पड़ेगा. मुझे अपनी मुस्कान बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी. मेरी जितनी भी पुरानी तस्वीरें हैं, उनमें बहुत कम ऐसी तस्वीरे ऐसी हैं जहां मैं मुस्कुरा रही हूं. और ऐसी कई सी बातें हैं जो मुझे ख़ुद में खटकती थीं. 

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ख़ुद के प्रति आत्म-विश्वास की इस कमी की वजह से ही मैं रिश्तों में भी ख़ुश नहीं रह पाती थी. यदि मेरा पार्टनर मेरी तारीफ़ भी करता था तो मुझे उसे अपनाने में बड़ा असहज सा महसूस होता था. ख़ुद को पसंद न कर पाने की वज़ह से हमारे बीच अक्सर अन-बन भी होते थी, जो कि अक्सर मेरी दुविधाओं की वजह से उपजती थीं. 

ख़ैर, हमारा रिश्ता तो लम्बा नहीं चला मगर मुझे इस बात का एहसास ज़रूर हो गया कि मुझे किसी और से प्यार करने से पहले ज़रूरी है कि मैं ख़ुद की पसंद बनूं, ख़ुद की क़द्र करूं.   

हां, मैं ये भी मानती हूं कि ख़ुद से प्यार कर पाना, ख़ुद की पसंद बन पाना बहुत मुश्किल है क्योंकि हम हमेशा ख़ुद को दूसरों की नज़र से देखते हैं. मगर ये भी बहुत ज़रूरी है कि हम ख़ुद को अच्छे से समझें और जानें. 

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ख़ुद से प्यार करना कोई कोर्स नहीं है जो 3 या 6 महीनों में ख़त्म हो जाएगा. ये एक जीवन भर चलने वाला प्रोसेस है, जिसे आपको अपने जीवन में ढालने की ज़रूरत है. ये मरते दम तक चलने वाली प्रोसेस है. 

क्योंकि जब आप ख़ुद से प्यार करना सीखेंगे तो आप समझौता करना बंद कर देंगे. आप अपनी ख़ुशी के लिए बोल पाएंगे. आप ख़ुद के प्रति दूसरों के बुरे बर्ताव को बर्दाश नहीं करेंगे. आपको कोई भी काम करने के लिए किसी की अनुमति लेने की भी ज़रूरत नहीं है. आप को ख़ुद की ख़ामियां पता भी होंगी और आप उन्हें अपनाना जानते भी होंगे. 

मैंने आज भी हर दिन ख़ुद को और ज़्यादा प्यार करना सीख रहीं हूं. लेकिन हां अब मैं अपनी पहली पसंद हूं. 

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मेरे नए रिश्ते में मेरा पार्टनर 6 फुट लम्बा है और सच बोलूं तो अब मुझे पहले की तरह अपने कद को लेकर इतनी दिक़्क़त नहीं होती. हां, मेरे अपने दिन होते हैं जब मैं थोड़ी मायूस होती हूं अपने क़द को लेकर, मगर मुझे पता होता है कि मैं इससे बहुत ज़्यादा हूं. अब मुझे अपनी मुस्कान से बहुत प्यार है. शायद ही कोई ऐसी तस्वीर होगी जिसमें मैं हंसती न हूं. अब मुझे दूसरों की छोटी-छोटी बातें बुरी नहीं लगतीं, क्योंकि मुझे पता है कि मैं क्या हूं क्या नहीं. अब अगर मेरा पार्टनर मेरी तारीफ़ करता है तो मैं उसे पूरे दिल से अपनाती हूं.   

मैंने महसूस किया है कि जिस वक़्त से आप ख़ुद को प्यार करने लगते हैं, आपमें एक अलग तरह का विश्वास आता है. लोग भी आपको उसी तरह प्यार करने लगते हैं. क्योंकि अगर आप अपनी पसंद नहीं हैं, तो दूसरे कैसे हो सकते हैं. क्योंकि भले ही आपके साथ अंत तक कोई हो या न हो आप को ख़ुद के साथ रहना ही है.