योग सदियों से भारत की संस्कृति का अनूठा हिस्सा रहा है. जैसे गंगा-जमुनी तहज़ीब भारत की संस्कृति का हिस्सा है, जैसे अलग-अलग भाषाएं, अलग तरह के रस्मो-रिवाज़, भिन्न-भिन्न समुदाय और धर्म के लोग.
जिस देश के पास संस्कृति की ऐसी Variety हो, उस देश को ख़ुद पर नाज़ करना चाहिए. एक भारतीय होने के नाते हम अपने देश पर गर्व करते भी हैं, लेकिन कुछ हैं, जिन्हें हर बात से प्रॉब्लम होती है. जो अपनी सोच का दायरा न बढ़ा कर, बेतुकी बातों को पकड़ कर बैठ जाते हैं.
जैसे वो लोग, जिन्हें लगता है कि योग एक ख़ास धार्मिक वर्ग का प्रचार कर रहा है और मौजूदा सरकार इसे इसीलिए लागू कर रही है क्योंकि वो एक ख़ास धार्मिक वर्ग को Cater करती है.
ऐसे लोगों की सोच पर ईशा फाउंडेशन के गुरु और महान वक्ता, जग्गी वासुदेव ने बड़ा सटीक और मुंहतोड़ जवाब दिया है.
एक रिपोर्टर ने उनसे पूछा था कि योग पर इतना फोकस क्यों किया जा रहा है, तो जग्गी वासुदेव ने कहा कि अगर ये बात कोई दूसरी सरकार कर रही होती, तो कोई उंगली नहीं उठाता. अभी सब इसलिए बोल रहे हैं, क्योंकि उनके दिमाग में इस सरकार को लेकर एक बैठी-बिठाई सोच है.
उन्होंने बहुत सही बात कही कि समझदार लोग जाती/धर्म/देश/समुदाय से उठ कर ये देखते हैं कि उनके लिए क्या अच्छा है. इंसान को हिन्दू-मुसलमान नहीं, इंसान की तरह देखना चाहिए.
जो भी लोग इस सरकार पर योग का ‘भगवाकरण’ करने की बात कर रहे हैं, उन्हें तब कोई परेशानी नहीं होती, जब 1947 में ही हर स्कूल में ये बोल दिया जाता कि बच्चों को योग करना है. मुझे लगता है, हमें अपनी Readymade सोच को छोड़ कर, अच्छी चीज़ों को अपनाने की ज़रूरत है.
ये रहा वो वीडियो:
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जिनको अभी भी समझ नहीं आया, उन्हें मनोज कुमार जी के शब्दों में समझाते हैं:
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