अगर कोई किसी से सच्चा प्यार करता है, तो उसके लिए मरने को भी तैयार रहता है. इस दुनिया में कई प्रेम कहानियां मशहूर हैं जैसे हीर-रांझा, सोनी-महिवाल शिरी-फरहाद और रोमियो-जूलियट. लेकिन कहा जाता है कि ये सभी प्रेम कहानियों अपने प्यार के अंजाम तक नहीं पहुंच पाई. आप सभी मुगल बादशाह शाहजहां की प्रेम कहानी से, तो वाक़िफ़ ही होंगे कि किस तरह उन्होंने अपनी बेग़म मुमताज़ की याद में ताजमहल बनाया. आज दुनिया भर से लोग शाहजहां के इस प्रेम प्रतीक की एक झलक पाने को बेताब रहते हैं.

कर्नाटक के राजूस्वामी भी एक ऐसे ही प्रेमी हैं, जिन्होंने अपनी पत्नी की याद में एक मंदिर बना डाला है. इतना ही नहीं, राजू ने मंदिर में अपनी पत्नी की एक मूर्ति भी स्थापित की है. अन्य देवताओं के साथ उनकी भी पूजा की जाती है.

येल्लंदुर के कृष्णापुरा गांव में स्थित ये मंदिर राजू की पत्नी राजम्मा के नाम से प्रसिद्द है. इस मंदिर को देखने दूर-दूर से लोग यहां आते हैं. मंदिर में उनकी पत्नी राजम्मा की जो मूर्ति है उसे राजू ने ख़ुद ही बनाया है. जबकि राजम्मा की मूर्ति को शनीश्वर, सिद्दप्पाजी, नवग्रह और भगवान शिव की मूर्तियों के साथ ही रखा है.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बात करते हुए राजू ने बताया, ‘मेरे माता-पिता हमारी शादी के सख़्त ख़िलाफ़ थे. लेकिन सिर्फ़ मेरी बहन और साला ही इस रिश्ते के लिए राज़ी थे. लेकिन सभी परेशानियों को दरकिनार करते हुए मैंने राजम्मा से शादी की. शादी के कुछ दिन बाद मेरी पत्नी ने मुझे गांव में एक मंदिर बनाने को कहा. लेकिन जब तक मंदिर बनकर तैयार होता, तब तक मेरी पत्नी चल बसी. इसलिए मैंने अपने हाथों से उसकी मूर्ति बनायी और मंदिर में स्थापित कर दी.

राजू ने बताया कि, उनकी पत्नी आध्यात्मिक महिला थी, उनके पास कुछ विशेष शक्तियां भी थीं. मेरी पत्नी को अपनी मौत का आभास पहले से हो गया था. इस लिए उसने पहले ही बोल दिया था कि उसके मरने के बाद गांव में एक मंदिर बनाया जाये.