दुनिया में कई ऐसी असामान्य घटनाएं होती रही हैं जिन्हें चाह कर भी समझना मुश्किल हो जाता है और जो चीजें समझने में मुश्किल हों, तो उन्हें लेकर कयास तो लगते ही हैं. ये कयास कब अफ़वाह में बदल जाए और कब कोई इन्हें सच समझ ले, कोई नहीं कह सकता. लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि ऐसी घटनाओं से कई तरह की नई और अजीबोगरीब प्रतिक्रियाओं के बारे में जानने का मौका जरूर मिलता है.
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2001 में ऐसा ही कुछ केरल में हुआ था. दरअसल केरल में 23 जुलाई 2001 से लेकर 25 सितंबर 2001 तक कई लोगों ने आसमान से लाल बारिश होते हुए देखी थी. इनमें कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के एक प्रोफेसर भी शामिल थे, जो इस मामले की तहकीकात करना चाहते थे. हालांकि, ऐसा नहीं था कि केरल में ये घटना पहली बार हुई थी. 1896 में सबसे पहली बार इस लाल बारिश को केरल में देखा गया था. उसके बाद से ये घटना कई बार हो चुकी थी.
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इस मामले में सेंटर फॉर अर्थ साइंस स्टडीस का मानना था कि किसी उल्कापिंड के फटने की वजह से ये लाल रंग की बारिश हो रही है, लेकिन जल्दी ही उन्हें अपना बयान बदलना पड़ा. माइक्रोस्कोपिक जांच के बाद सामने आया कि इस बारिश के लाल होने का कारण भारी मात्रा में काई की मौजूदगी थी. इन समुद्री काई के बीजाणु ही इस लाल बारिश का कारण थे. यहां की जमीन का निरीक्षण के बाद भी इस बात की पुष्टि हुई कि इस जगह पर काई की मात्रा काफ़ी ज़्यादा थी. हालांकि केरल के बादलों में ये जीवाणु कैसे पहुंचे, ये आज भी रहस्य बना हुआ है.
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लेकिन ये घटना इतनी अजीब और दिलचस्प थी कि लोग अपने अपने हिसाब से इसका आंकलन करने लगे थे. किसी ने इस लाल बारिश को एलियंस के आगमन का तरीका बताया, तो किसी ने इसे ‘पृथ्वी का अंत नज़दीक है’ जैसी कई थ्योरीज़ से लोगों का मनोरंजन किया. लेकिन विज्ञान की तीखी समझ ने इन सभी दावों को झुठलाते हुए आखिर इस लाल बारिश का कारण ढूंढ ही निकाला था.