हिम्मत-ए-मर्दा, तो मदद ए खु़दा!

बीते 8 अगस्त केरल में आई बाढ़ में कई घर तबाह हो गए, 250 मासूम लोगों ने अपनी ज़िंदगी खो दी. यही नहीं, आंकड़े बताते हैं कि इससे राज्य सरकार को हज़ारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. कुदरत के इस कहर ने केरलवासियों को इधर-उधर ज़रुर बिखे़र दिया, लेकिन उनके हौसलों की उड़ान अभी बाकी है. इस विपदा के समय में केरलवासियों ने एक-दूसरे का सहारा बन, उनकी हिम्मत बंधाई.

फिलहाल केरल में बारिश से राहत है और बाढ़ का पानी भी धीरे-धीरे कम होने लगा है. राहत शिविरों में रहने वाले लोगों के लिए इससे अच्छी ख़बर और क्या हो सकती है कि अब वो अपने घर जा सकते हैं, लेकिन उन लोगों का क्या जिनके घर बाढ़ में तबाह हो गए. लाखों लोगों के लिए अपनी ज़िंदगी का पुनर्निर्माण करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. यहीं से देखने को मिलती है केरल वालों की दरियादिली, सुख हो या दुख एक-दूसरे को अकेला नहीं छोड़ना है.

दरअसल, बिना घर वाले लोगों के लिए राज्य में ‘करुणामय केरलम’ नामक एक अभियान चलाया गया है. इसकी शुरूआत लोकप्रिय आईएएस अधिकारी प्रशांत आर नायर ने की है, जिन्हें बाढ़ के दौरान Online Coordination और Response के लिए काफ़ी सहारना मिली. अभियान के बारे में बताते हुए नायर ने सोशल मीडिया पर लिखा कि 

इस पहल का मकसद उन लोगों को साथ लाना है, जिन्हें मदद की सख़्त ज़रूरत है और जो दूसरों की मदद करने के इच्छुक हैं. मतलब ये है कि केरल के जिस परिवार के पास उनका घर है, तो वो किसी अन्य परिवार को अपने घर में रहने के लिए जगह दे सकते हैं. ये लोग केरल के किसी भी ज़िले के हो सकते हैं. आपकी मदद किसी बच्चे को शिक्षित और किसी को अपना घर बनाने में मदद कर सकती है. यही नहीं, आपकी ये छोटी  सी कोशिश किसी के जीवन में ख़ुशियां ला सकती हैं.

इस योजना के तहत Volunteer भी रखे गए हैं, जो वेबसाइट पर आई मदद Requests की अच्छी तरह जांच करेंगे. बाढ़ के दौरान वेबसाइट ने काम करना बंद कर दिया था. हांलाकि, उसे फिर रिस्टोर कर लिया गया है और अब आप मदद के लिए इस पर साइन अप कर सकते हैं. वित्तीय सहायता के साथ-साथ, केरल में कई लोगों ने अजनबियों के लिए अपने घर के दरवाज़े खोल दिये हैं.

मुसीबत की घड़ी में केरल के लोगों को यूं एकजुट देख दिल को खु़शी हुई. एकता की मिसाल बने इन लोगों को सलाम!