समाज में मोटापे को अनाकर्षक माना जाता है, इसलिए हर कोई अच्छी डाइट लेकर वज़न घटाना चाहता है. इसी काम के लिए आजकल केटोजेनिक डाइट चलन में है, जो साधारण डाइट से काफ़ी अलग होती है.
क्या है KETOSIS?
केटोजेनिक डाइट में ज़्यादा Fat और कम Carbs होते हैं. इसमें पोषक तत्वों का अनुपात कुछ इस तरह होता है, 70 से 80 प्रतिशत Healthy Fats, 10 to 20 प्रतिशत प्रोटीन और 5 प्रतिशत Carbohydrates. जब शरीर में Glucose या प्रोटीन कम होते हैं और Fat ज़्यादा, तब Ketosis की प्रक्रिया शुरू होती है.
इस प्रक्रिया में Fat से एनर्जी बनने लगती है. शरीर में Ketones बनने से इंसान खाना कम खता है पर शरीर से प्रोटीन कम नहीं होता. Ketones से शरीर को एनर्जी मिलती रहती है और इंसान को भूख भी नहीं लगती.
केटोजेनिक डाइट कैसे अलग है साधारण Weight Loss डाइट से?
ये बाकी डाइट्स से ज़्यादा असरदार होती है. ये भूख लगाने वाले हार्मोन ‘Ghrelin’ पर काम करती है. जब भी हम खाना खाते हैं, इस हार्मोन की मात्र शरीर में कम हो जाती है. साधारण डाइट में ये हार्मोन उसी मात्रा में बनता रहता है और इंसान को भूख लगने लगती है, जबकि कीटोनिक डाइट में ऐसा नहीं होता. इस डाइट के ज़रिये एक आदमी 450 kcals और एक औरत 150 kcals अतिरिक्त कैलोरी हर दिन घटा सकती है.
शुरू में इसे अपनाने में परेशानी ज़रूर होती है, लेकिन धीरे-धीरे सब सामान्य हो जाता है. आजकल लोगों की खाने-पीने की आदतें ऐसी हैं कि ज़्यादातर लोगों को आसानी से मोटापा चढ़ जाता है.
एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑइल, मेवे, मछली जैसी चीज़ों को डाइट में शामिल कर के और Sugar व Carbs को अलविदा कह कर, आप ख़ुद को फ़िट रख सकते हैं.