अकसर आपने देखा होगा की महिलाएं सर्दियां आने से पहले ही स्वेटर बुनना शुरू कर देती हैं. ऐसा तकरीबन देश की हर मिडल क्लास फ़ैमिली में होता है. पर क्या आप जानते हैं, स्वेटर बुनने की यही कला कभी जासूसी के लिए इस्तेमाल की जाती थी. नहीं तो चलिए, आज बुनाई और जासूसी से जुड़ी इस दिलचस्प कहानी के बारे में भी जान लेते हैं. 

अमेरिका और उसके जैसे कई देश विश्वयुद्ध के दौरान जासूसी करने के लिए बुनकरों का इस्तेमाल करते थे. वैसे तो युद्ध के दिनों में सेना के जवानों के लिए स्वेटर, मोजे आदि बुनकर आम लोग भी अपना योगदान दिया करते थे.

लेकिन साधारण सी दिखने वाली इस कला का उपयोग दुश्मन देश की जासूसी करने के लिए भी किया जाता था. बुनाई को कोई गुप्त संदेश या फिर किसी चीज़ को छिपाए रखने के लिए भी किया जाता था.  

ऐसा उन देशों में अधिक होता था, जो दूसरों देशों से परेशान थे और उनकी जासूसी कर अपने देश को चुपके से फ़ायदा पहुंचाना चाहते थे. यही नहीं बच्चों, मरीज़ों और कैदियों को भी बुनना सिखाया जाता था. इससे लोगों का मन शांत होता था और कई तरह की बीमारियों से भी उभरने में मदद मिलती थी. 

एक ब्लॉगर ने Bored Panda को अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया, जब भी दुश्मन देश से जुड़ी कोई अहम जानकारी उन्हें भेजनी होती थी, तो वो उसे एक पेपर लिख लेते थे. फिर उसे तोड़-मरोड़ कर उस पर अच्छे से ऊन को लपेट कर गोला बना लिया जाता था. फिर इस गोले को लेकर महिला जासूस किसी तय स्थान पर स्वेटर बुनने लगती थी. तभी वो चालाकी से ऊन का गोला नीचे गिरा देती और नीचे खड़ा गुप्तचर उसमें छिपी जानकारी हासिल कर लेता था. 

एक अन्य ब्लॉगर के अनुसार, कई बार बुनकर स्वेटर में Encrypted Message बुन कर भेजते थे. इन्हें डिकोड कर उस संदेश को हासिल किया जाता था.  

स्वेटर के ज़रिये जासूसी करने का ये किस्सा पहले कभी पढ़ा था आपने?