अगर हम आपसे कहें कि आज़ाद भारत में आज भी एक ऐसी जगह है, जहां एक छोटे से निर्माण कार्य के लिए भी आपको ब्रिटिश सरकार की इजाज़त लेनी होगी, तो इस पर आपका क्या जवाब होगा?
जी हां, भारत में एक ऐसी जगह है. जहां पर आप न तो अपनी मर्ज़ी से जा सकते हैं न ही फ़ोटोग्राफ़ी कर सकते हैं. इस ख़ास जगह पर अगर आप अपने किसी परिचित की याद में कोई पौधा भी लगाना चाहते हैं तो उसकी इजाज़त भी ब्रिटिश सरकार से लेनी होती है.
इस जगह पर भारत सरकार भी अपनी मर्ज़ी से कुछ नहीं कर सकती है. मतलब ये हुआ कि भारतीय होने के बावजूद आप भारत की धरती में ही ये सब कार्य नहीं कर सकते. इसके लिए आपको पहले ब्रिटिश सरकार के पास आवेदन करना होगा. मंजूरी मिली तो ठीक अन्यथा इंतज़ार करिए.
है न अजीब बात!
आज हम जिस जगह के बारे में बात करने जा रहे हैं वो नागालैंड की राजधानी कोहिमा है. कोहिमा की इस ख़ास जगह पर आज भी ब्रिटिश सरकार राज करती है. इस जगह को हम ‘Kohima War Cemetery’ के नाम से जानते हैं.
दरअसल, सन 1944 ‘द्वितीय विश्व युद्ध’ के दौरान जापान की आर्मी ने ब्रिटिश आर्मी पर हमला कर दिया था. जापान की सेना ने पहले बर्मा फिर मिज़ोरम होते हुए कोहिमा व इम्फ़ाल पर अटैक किया. इस दौरान जापानियों ने ‘गैरीसन हिल’ को अपने कब्ज़े में योजना बनाई, लेकिन उनकी ये चाल कामयाब नहीं हो पाई. ब्रिटिश सैनिकों ने उन्हें वहां से खदेड़ भगाया.
इस दौरान दोनों तरफ़ से चली गोलाबारी में 1420 सैनिक शहीद हो गए. इनमें 1082 ब्रिटिश, 330 भारतीय, 5 कनाडाई और 3 ऑस्ट्रेलियाई सैनिक शामिल थे. इसके बाद हमले में मारे गये सभी सैनिकों को ‘गैरीसन हिल’ पर ही दफ़ना दिया गया. बाद में उनकी याद में समाधियों का निर्माण भी किया गया. इन सभी कब्रगाहों पर ब्रिटेन सरकार का नियंत्रण है.
ब्रिटिश नेशनल म्यूज़ियम ने साल 2013 में ‘बैटल ऑफ़ कोहिमा-इंफाल’ को ब्रिटेन की सबसे बड़ी लडाई का दर्ज़ा दिया था. इन सभी कब्रगाहों की देखरेख ‘कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव्स कमीशन’ करता है. अगर यहां कोई व्यक्ति अपने मोबाइल से फ़ोटो भी लेना चाहता है तो उसकी इजाज़त भी ब्रिटिश सरकार से लेनी होती है. आज कोहिमा आने वाला हर पर्यटक इस जगह को देखने ज़रूर जाता है.
पिछले साल ही इस कब्रगाह के साथ में गुजरने वाली सड़क को चौड़ी करने के लिए इंग्लैंड सरकार से परमिशन मांगी गई थी, जो नहीं मिली. इसी तरह अगर कोई भारतीय यहां आकर अपने किसी जानकार सैनिक की कब्रगाह की साफ़-सफ़ाई या उस पर पत्थर आदि लगवाना चाहता है तो उसे इंग्लैंड सरकार से इजाज़त लेनी पड़ती है.
बताया जाता है कि भारत में ऐसी 330 जगह हैं, जहां आज भी विदेशी हुकूमत की चलती है.