गीता के अध्याय 13 के श्लोक 19 में लिखा है कि ‘प्रकृतिं पुरुषं चैव विद्ध्यनादी उभावपि विकारांश्च गुणांश्चैव विद्धि प्रकृतिसंभवान्।।’ इस श्लोक का अर्थ है कि ‘तुम प्रकृति और पुरुष दोनों की ही अनादि जानो. और विकारों और गुणों को तुम प्रकृति से उत्पन्न हुआ जानो.’ इस श्लोक को जानना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि आज प्रकृति के प्रति जो रवैया हमने इख़्तियार कर लिया है. उससे न सिर्फ़ हम प्रकृति, बल्कि ख़ुद के भी पैरों में कुल्हाड़ी मार रहे हैं. इस श्लोक को लोगों ने अपने-अपने हिसाब से अनुवाद किया, पर इसका मूल भाव यही रहा कि प्रकृति आपको बहुत कुछ सिखाती है. आज हम भी आपके लिए प्रकृति के कुछ ऐसे ही सबक ले कर आये हैं, जो जीवन के मूल मंत्र से कम नहीं.
वृक्ष
बदलते मौसम के साथ बदलते हुए भी अपने अस्तित्व को बनाये रखना वृक्ष हमें अच्छे से सिखाते हैं. सर्दी के मौसम का बिना कोई विरोध किये वृक्ष अपने पत्तों को गिराने लगते हैं. वृक्ष का हर पत्ता निर्विरोध के लाल होने लगता है, जबकि गहराई से ज़मीन में निहित वृक्ष की जड़ें इंसान को ज़मीन से जुड़े रहना सिखाती हैं. वृक्ष की फैली शाखाएं ब्रह्मांड को आत्मसमर्पण का प्रतीक हैं, जो कहती है कि आप मुझे विश्वास है कि ये मेरे सर्वोच्च अच्छे के लिए ही है.
सागर
मीलों दूर तलक फैला समंदर पानी की एक-एक बूंद से तैयार हुआ है. ये हमें सिखाता है कि हर इंसान को मानवता में अपनी भूमिका निभानी चाहिए क्योंकि हम सब बड़े हिस्से का एक छोटा हिस्सा हैं.
पक्षी
आकाश में उड़ने वाले पक्षी हमें असीम स्वतंत्रता और क्षमता का प्रतिनिधित्व करना सिखाते हैं. वो बताते हैं कि पहली बार उड़ान भरना भले ही डरावना हो सकता है, पर उड़ान का जोख़िम न लेने से हमें आंतरिक स्वतंत्रता नहीं मिलेगी. हम में अपने पैरों को ज़मीन से दूर करने की हिम्मत होनी चाहिए, जिससे हम पंख को फैला कर ऊंची उड़ान भर सकें.
जानवर
बिना किसी से प्यार की उम्मीद किये प्यार करना किसे कहते हैं जानवर इसका जीता-जगाता उदाहरण हैं. ये हमें वो प्रेम करना सिखाते हैं, जिसमें स्वार्थ के लिए कोई जगह नहीं होती. ये प्रेम शब्दों से ज़्यादा भावनाओं से जुड़ा होता है.
चीटियां और मधुमक्खियां
चीटियां और मधुमक्खियां हमें आपसी सहयोग करना सिखाती हैं. इनसे हमें प्रेरणा मिलती है कि यदि हर शख़्स अपना काम दिल लगा करे, तो कैसे वो अपने परिवार, समुदाय और राष्ट्र का निर्माण कर सकता है. ये हमें ज़िम्मेदारियों से भागने के बजाय उसके प्रति जागरूक करना सिखाते हैं.
Bamboo And Maple Tree
बांस और मेपल ट्री के बारे में कहा जाता है कि बांस, मेपल से ज़्यादा ख़ूबसूरत, पर मेपल, बांस की तुलना में अधिक मूल्यवान है. इसके बावजूद शायद ही बांस या मेपल का पेड़ एक-दूसरे से जलन महसूस करते हों. जैसे ये पेड़ एक-दूसरे को बराबरी की टक्कर देने के बावजूद धैर्यवान बने रहते हैं, ऐसा ही धैर्य इंसानों को भी रखना चाहिए और स्वयं की किसी से तुलना नहीं करना चाहिए. हमें उस विकास की तुलना करनी चाहिए, जो अनोखा अद्वितीय है.
पक्षियों के झुंड
क्या कभी आपने पक्षियों को प्रतिस्पर्धा करते हुए देखा है? बिना बात किये भी वो हमेशा अपने झुंड में एक कतार में चलते हुए दिखाई देते हैं. पक्षियों का ये झुंड हमें बताता है कि किसी को समझने के लिए शब्दों की ज़रूरत नहीं होती.
अंधेरे से ढका आसमान
रौशनी के लिए अंधकार की ज़रूरत होती है. ये हमें बताता है कि हर चीज़ के दो पहलू होते हैं. एक वो जो हमें दिखाई देता है, जबकि दूसरा वो जो अंधेरे के पीछे छिपा रहता है.
आसमान
कितने ही तूफ़ान आये, बादल इसे घेर कर अंधेरे का घर बना लें. इसके बावजूद आसमान वापस नीला और सूरज की रौशनी से घिर जाता है. ये हमें प्रेरणा देता है कि मुसीबतें क्षणिक होती है.
बारिश
पानी का काम धोना होता है. धूप तपिश के बाद बारिश की पहली बूंद का पड़ना नेगेटिविटी को धोने जैसा होता है, जो जन-जीवन में नई चेतना को भरता है. ये बिलकुल ऐसा है जैसे एक हल्का-सा Shower आपके शरीर, आत्मा और मन को शुद्ध करता है.
बादल
बादल अलग-अलग रूप में आते हैं और आसमान में अपनी जगह बना लेते हैं. ये बिलकुल हमारे दिमाग़ में आने वाले उन विचारों की तरह है, जो हमें कभी ऐसी दुनिया में पहुंचा देते हैं, जिसकी कल्पना करना भी नामुमकिन-सा लगता है. इन विचारों को रोकने के बजाय इनके साथ ख़ुद को बहने दीजिये.
सितारे
सितारे अंधेरे में उजाले की किरण की तरह हैं, जो ख़ुद पर विश्वास करके अंधेरे में भी जगमगाता रहता है. ये हमें सिखाता है कि हमें ऊपरी सुंदरता के बजाय अपने अंदर की ख़ूबसूरती पर विश्वास करना चाहिए.
हवा
सभी मौजूद चीज़ों को हम देख नहीं सकते, पर उन्हें महसूस कर सकते हैं. अपनी पांचों इंद्रियों को एक दायरे में सीमित मत होने दीजिये और अपने अंदर उस विश्वास को पैदा कीजिये, जिसे आप महसूस कर सकें.
सूर्योदय और सूर्यास्त
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय जब सारा संसार एक ख़ास तरह की रौशनी में डूब जाता है उस समय एक एनर्जी का संचार होता है, जहां नई भावनाएं पुरानी भावनाओं को पीछे छोड़ कर अपने लिए जगह बनती हैं. इन भावनाओं के पनपने में रंगों का बड़ा महत्व होता है. ये बताते हैं कि हम भी आस-पास के रंगों में अपने लिए उसी ऊर्जा को ढूंढे.
जानवर
ज़ेबरा, शेर की तरह नहीं दिखाई देता और न ही उसके जैसे शिकार कर सकता है. इसके बावजूद वो अपनी जगह बनाये हुए है. ये जानवर हमें इस बात के प्रेरणा देते हैं कि हम जैसे हैं उस पर विश्वास करें और अपनी कमज़ोरी और ताक़तों को पहचाने.
शिकार
जो जानवर कभी भविष्य की योजनाएं नहीं बनाते. शिकारी के आने पर उसे चकमा देने के बावजूद यदि कोई मारा जाता है, तो भी फिर से मैदानों की तरफ़ लौट पड़ते हैं. ये हमें सिखाते हैं कि किसी भी मुसीबत के आने पर उसका शोक मनाने से अच्छा है कि हम उन्हें भूल कर आगे की तरफ़ बढ़ें.
मैदान
हम कल में विश्वास करते हैं. इसी उम्मीद में हम पौधों के लिए बीज ज़मीन में डालते हैं उनका ख़्याल रखते हैं. उन्हें हर दिन पानी डालते हैं और जानवरों से उन्हें बचाते हैं. तभी कल को जाकर वो पौधे पेड़ों में बदलते हैं और फल देने के लायक बनते हैं. इस सब को होने में एक नियमित समय लगता है. समय से पहले न पेड़ बड़े होते हैं और न ही उनमें फल लगते हैं. इसे हम अपने जीवन में इस तरह उतार सकते हैं कि हमें कभी धैर्य नहीं खोना चाहिए.
सांप
जैसे सांप अपनी पुरानी खाल को छोड़ देता है वैसे ही हमें भी पुराने व्यक्तित्व को छोड़ कर हमेशा बदलाव के लिए तैयार रहना चाहिए.
पहाड़
पहाड़ों की अटलता का वर्णन कई कवियों ने अपनी कविताओं में किया है. ये हमें सिखाता है कि विपदाओं के आने के बावजूद हमें विचलित नहीं होना चाहिए और अडिग रहना चाहिए.