इंटरनेट की फ़ील्ड में दिग्गज कंपनी गूगल में सुंदर पिचाई का कद बढ़ गया है. उन्हें हाल ही में गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फ़ाबेट का सीईओ नियुक्त किया गया है. उन्हें ये पोस्ट गूगल के को-फ़ाउंडर्स Larry Page और Sergey Brin के एक्टिव मैनेजमेंट से दूर रहने का निर्णय लेने के बाद दी गई है. 

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सुंदर पिचाई साल 2004 में गूगल से जुड़े थे. पिछले 15 सालों में गूगल में उनका कद तेज़ी से बढ़ा है. साल 2015 में उन्हें गूगल का सीईओ बनाया गया था. उनके नेतृत्व में पिछले 3 सालों में गूगल का ऐड रेवेन्यू 85 फ़ीसदी तक बढ़ा है. अल्फ़ाबेट के रेवेन्यू में गूगल के ऐड बिज़नेस की 85% हिस्सेदारी है.

पिचाई की लीडरशिप में गूगल सभी प्रमुख ट्रेंड जैसे- क्लाउड, मोबाइल, सर्च और एडवरटाइजिंग में अग्रणी है. इसके अलावा वो नई तकनीक पर ख़र्च करने में भी आगे रहा है. पिचाई को उनकी मेहनत और लगन का तोहफ़ा अल्फ़ाबेट का सीईओ बनाकर दिया गया है.

मिडिल क्लास फ़ैमिली में हुआ था जन्म 

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सुंदर पिचाई का जन्म मदुरै में एक मिडिल क्लास फ़ैमिली में हुआ था. वो एक मामूली घर में रहते थे. कई बार उन्हें ज़मीन पर भी सोना पड़ता था. उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री ली है. उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा कि एक बार उन्हें एक सबजेक्ट में सी ग्रेड मिला था. लेकिन बाद में मेहनत कर उन्होंने इसे सुधार लिया था. पिचाई ने अपने बैच में सिल्वर मेडल हासिल किया था. 

पढ़ाई के लिए अमेरिका जाने के लिए पिता को लेना पड़ा था कर्ज़ 

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यहीं पर उनकी मुलाकात पत्नी अंजली से भी हुई थी. आईआईटी के बाद उन्होंने अमेरिका की Stanford University से एमस की पढ़ाई की. अमेरिका जाने के लिए उनके पिता को कर्जा तक लेना पड़ा था. पिचाई ने इसके बाद Wharton University एमबीए किया. साल 2004 में उन्होंने बतौर प्रोडक्ट एंड इनोवेशन ऑफ़िसर गूगल को जॉइन किया था. गूगल क्रोम को एक अग्रणी वेब ब्राउजर बनाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

2015 में बनाए गए थे गूगल के सीईओ 

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क्रोम की अपार सफ़लता के बाद पिचाई को एंड्राइड की कमान दी गई थी. साल 2015 में उनके गूगल के सीईओ बनने के बाद एंड्राइड डिवाइस इस्तेमाल करने वालों लोगों की संख्या करोड़ों में पहुंच गई थी. अब उन्हें इसकी पैरेंट कंपनी की भी कमान दे दी गई है.

इस ख़ुशी के अवसर पर Larry Page और Sergey Brin ने उनकी तारीफ़ करते हुए एक लेटर लिखा है. इसमें उन्होंने बताया कि पिचाई Larry Page को अच्छी तरह समझते हैं और अपने विजन को दूसरों तक पहुंचाने में भी कामयाब हुए हैं.

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साल 2011 में सुंदर को गूगल छोड़कर ट्विटर जॉइन करने का ऑफ़र मिला था लेकिन उनकी पत्नी ने उन्हें गूगल में ही रहने की सलाह दी थी. अगर उस दिन सुंदर पिचाई ट्विटर जॉइन कर लेते तो शायद आज अल्फ़ाबेट का सीईओ कोई और होता. 

इसलिए कहते हैं जो होता है अच्छे के लिए होता है. हमारी तरफ से सुंदर पिचाई को बहुत-बहुत बधाई. उम्मीद है उनकी लीडरशिप में गूगल और भी तरक्की करेगा. 

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