‘लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती.’

इस छोटी-सी ज़िंदगी में ग़म के बादल और ख़ुशियों की बरसात का आना-जाना लगा रहा रहता है. शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जिसे हार का मुंह देखना पसंद हो, लेकिन फिर भी हार ज़रूर देखनी पड़ती है. इस हार से सबक लेकर कुछ लोग ख़ुद को लोहे-सा फ़ौलादी बना लेते हैं, तो कुछ ज़िंदगी से निराश होकर अपनी राह बदल लेते हैं.

कहते हैं असफ़लता में सफ़लता का राज़ छुपा होता, बस देरी होती है तो उससे पहचानने की. कदम-कदम पर मिलने वाली हार से निराश नहीं, बल्कि सबक लीजिए और आगे बढ़िए. आइए जानते हैं कि एक छोटी सी असफ़लता हमें ज़िंदगी के कितने मायने सिखा देती है.

1. ख़ुद की कमियों को पहचानना

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अगर आप किसी इंटरव्यू या फिर प्रोजेक्ट के लिए रिजेक्ट हो भी गए हैं, तो उससे निराश होने की ज़रूरत नहीं है. बल्कि ऐसे वक़्त में ये सोचिए कि आख़िर आप में या आपके काम में कौन सी ऐसी कमी थी, जिसकी वजह आप इंटरव्यू में सिलेक्ट नहीं हो पाए. जिस दिन आप अपनी कमियों को पहचान उस पर काम करना शुरू कर देंगे, उस दिन आप कामयाबी की पहली सीढ़ी चढ़ जाएंगे.

2. ख़ुद पर यकीन करो, ज़माने पर नहीं

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अकसर हम छोटी-छोटी चीज़ों के लिए ख़ुद से ज़्यादा दूसरों पर यकीन करते हैं और यही हमारी सबसे बड़ी भूल होती है. किसी भी काम को करने से पहले ख़ुद पर भरोसा होना बहुत ज़रूरी, तभी उस काम में सफ़ल से हो पाएंगे.

3. किसी भी चीज़ को लेकर घमंड मत करो

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दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, पहले वो जो कहते हैं कि हां मैं ये काम कर सकता हूं. दूसरे वो जो कहते हैं कि सिर्फ़ मैं ही ये काम कर सकता हूं. इस बात को कहने का मतलब ये है कि किसी भी काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए Confident होना चाहिए, लेकिन Overconfident नहीं. क्योंकि कभी-कभी Overconfidence ही इंसान के हार की वजह बन जाता है.

4. ज़िंदगी सीखने का नाम है

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हर शख़्स से हमें कुछ न कुछ सीखने को ज़रूर मिलता है और दूसरों की अच्छाईयों और बुराईयों से सीख कर ही हम आगे बढ़ते हैं. इसीलिए अपने आस-पास मौजूद लोगों से बात करते रहिए. जितना हो सकता है उनसे कुछ नया सीखने की कोशिश करिए.

5. लोगों का शुक्रिया अदा करना न भूलें

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हम कितने ही मजबूत क्यों न बन जाएं, लेकिन मुसीबत के वक़्त हमें किसी न किसी सहारे की ज़रूरत ज़रूर पड़ती है. इसीलिए अगर कठिन वक़्त में कोई आपका साथ देता है, तो उसका शुक्रिया अदा करना न भलूें और शायद ऐसे ही समय में अपनों और परायों का पता चलता है.

6. दूसरों को कॉपी मत करो

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अकसर हम अपने आस-पास के लोगों से प्रभावित होकर उनके जैसा बनने की कोशिश करते हैं, शायद यही हमारी नकामयाबी की बड़ी वजह होती है. किसी दूसरे को कॉपी करने से अच्छा है कि ख़ुद की एक अलग पहचान बनाएं.

7. असफ़लता से सबक लें और आगे बढ़ें

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हार और जीत ज़िंदगी के दो पहलू हैं. कई बार ऐसा होता है कि हार मिलने पर हम निराश होकर शांत बैठ जाते हैं, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए. हालात कितने ही मुश्किल भरे क्यों न हों, बिना डरे उनका सामना करिए और आगे बढ़िए.

8. हमेशा पॉज़िटिव रहें

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कई बार लगातार हार मिलने से या फिर दूसरों की Success देख हम ख़ुद के प्रति काफ़ी नकारात्मक रवैया अपना लेते हैं और अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं. इसीलिए ज़रूरी है कि कठिन समय में भी ख़ुश और पॉज़िटिव रहें. साथ ही भरोसा रखें कि बुरा वक़्त गुजरने के बाद अच्छा समय ज़रूर आएगा.

किसी काम के लिए देरी नहीं होती. हर किसी का समय का बदलता है आपका भी बदलेगा, बस थोड़ा संयम और समझदारी से काम लेने की ज़रूरत होती है.