आप अकसर गौरक्षा के नाम पर हुई हत्याओं और हिंसक घटनाओं के बारे में सुनते होंगे, पर शायद ही कोई ये जानने की कोशिश करता होगा कि हमारे देश में गायों का जीवन आखिर होता कैसा है. गाय को लेकर आज देश में हत्याएं तक हो जाती हैं, लेकिन ज़्यादातर लोग इन तथ्यों से अब भी अनजान हैं. उन्हें किन स्थितियों में रखा जाता है, ये जानने के बाद आप सोचने पर मजबूर हो जायेंगे कि इंसान अपने स्वार्थ के लिए किस हद तक गिर गया है.

किया जाता है बार-बार प्रेगनेंट

क्या आप जानते हैं कि सभी स्तनधारियों की तरह ही गाय को भी केवल बछड़ों को पिलाने के लिए दूध आता है? गायों को बार-बार प्रेगनेंट किया जाता है, ताकि उन्हें दूध आता रहे और इसका व्यापार किया जा सके.

मुनाफ़े के लिए कर दी जाती है गाय की दुर्गति

परंपरागत तौर पर गाय को घरों में किसी परिवार के सदस्य की तरह ही पाला जाता था, लेकिन व्यावसायिक तौर पर इन्हें कैसे पाला जाता है, ये देख कर आपको हैरानी होगी. घरों में गाय का दूध पहले बछड़े को दिया जाता है. बछड़ों को बड़े होने पर खेतों में काम करने के लिए तैयार किया जाता है और बछियों को दूध देने के लिए. जब रेफ्रीजेरेटर नहीं थे, तब दूध का व्यवसाय इतना फैला हुआ नहीं था. आज समय बदल गया है. गाय के गोबर से लेकर गौमूत्र तक की कमर्शियल वैल्यू हो गयी है.

बछड़ों को रखते हैं भूखा

दूध को बेचा जा सके, इसलिए बछड़ों को दूध नहीं दिया जाता. बछड़े लोगों के लिए ज़्यादा काम के नहीं होते, इसलिए उन्हें बूचड़खानों में भेज दिया जाता है या यूं ही बेसहारा छोड़ दिया जाता है. कुछ लोग उन्हें मां से दूर किसी खूंटे से बांध देते हैं, ताकि वो दूध न पी सकें और धीरे-धीरे भूख से अपने प्राण छोड़ दें. उनकी लाश को चमड़ा बनाने के लिए बेच दिया जाता है.

सफ़ेद मीट मिल सके, इसलिए नहीं देते ठीक से खाना

पश्चिमी देशों में उन्हें Veal Farms में भेज दिया जाता है, जहां उन्हें 14-17 हफ़्तों तक बेहद बुरी स्थिति में रखा जाता है. उन्हें इतनी छोटी जगह में रखा जाता है कि वो चल फिर भी न सकें. उन्हें ऐसा खाना दिया जाता है, जिससे उनमें खून की कमी हो जाये, ताकि जब उन्हें खाने के लिए काटा जाये, तो टेंडर सफ़ेद मीट मिल सके.

चीर देते हैं ज़िन्दा बछड़ों का पेट

कुछ बछड़ों के पेट उनके ज़िन्दा रहते हुए ही चीर दिए जाते हैं, ताकि चीज़ उद्योग के लिए जामन निकाला जा सके. बछड़ों को उनकी मां से जुदा कर देना बेहद अमानवीय है. वो गौशालाएं, जो गायों की रक्षा के लिए होती हैं, वहां भी गायों का दूध निकालने के लिए उनके बछड़े उनसे दूर कर दिए जाते हैं.

दर्द बढ़ाने के इंजेक्शन

गायों को रोज़ Oxytocin के इंजेक्शन लगाये जाते हैं, जिससे उन्हें लेबर पेन जैसा दर्द हो और उन्हें ज़्यादा दूध आये.

26 साल जीने वाली गाय मर जाती हैं 6 साल में ही

प्राकृतिक तौर पर अपने बछड़े के लिए गाय दो से तीन साल तक दूध देती है. जब बछड़े उनके पास नहीं होते, तो दूध आना बंद हो जाता है. दूध आता रहे, इसके लिए जन्म देने के दो महीने बाद ही उन्हें कृत्रिम तरीके से Inseminate किया जाता है. उन्हें प्रेगनेंट होने के दौरान भी दूध देना पड़ता है. इससे होता ये है कि चार बार प्रेगनेंट होने के बाद ही गाय दूध देने लायक नहीं रह जाती. इसके बाद उन्हें बूचड़खाने में भेज दिया जाता है. यूं तो गाय का जीवन 26 साल तक का होता है, लेकिन उन्हें इस तरह रखने से वो मात्र 6-8 साल ही जीवित रह पाती हैं.

हाइब्रिड गाय

हाइब्रिड गाय आम गाय से ज़्यादा दूध देती हैं, लेकिन हाइब्रिड गाय अकसर स्तन की सूजन से पीड़ित रहती हैं. उन्हें कई बीमारियां हो जाती हैं, यहां तक कि उनके दूध में पस आने लगता है.

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प्लास्टिक खाना है मौत का सबसे बड़ा कारण

गाय के दूध से पैसा कमाने के बावजूद, कई व्यापारी उन्हें खाना देने की ज़हमत भी नहीं उठाते और उन्हें खाना ढूंढने के लिए सड़कों पर छोड़ देते हैं. सड़क पर पड़े कचरे में से गाय खाना ढूंढ के खाती हैं. अकसर लोग कचरे को थैली में भर कर फेंकते हैं और गाय खाने को थैली से बाहर निकालने में असमर्थ होती हैं. ऐसे में वो थैली समेत इसे खा लेती हैं, जिससे बाद में उनकी मौत हो जाती है. यही भारत में गायों के मरने का सबसे बड़ा कारण है.

ठीक से न रखे जाने पर हो जाती हैं गंभीर बीमरियों की शिकार

गायों को खूंटे से छोटी रस्सी के सहारे बांध दिया जाता है. वो घंटों धूप में प्यासी खड़ी रहती हैं. कई जगहों पर उन्हें कम जगह में बांध कर रखा जाता है. वो गोबर से पटी हुई जगह में बुरी स्थितियों में रहती हैं, जिससे उन्हें Mastitis और टीबी जैसी बीमारियां हो जाती हैं.

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भूखे-प्यासे बैल ढोते हैं धूप में बोझ

बैलों का इस्तेमाल सामान ढोने या सवारी ढोने के लिए किया जाता है. धूप में बिना आराम के भूखे-प्यासे बैल कई बार सड़क पर गिर जाते हैं.

दूध निकालने की मशीन का असर

जब इन मशीनों द्वारा दूध निकला जाता है, तो कई बार गायों को चोट लग जाती है और खून तक बहने लगता है. कई बार गायों को इलेक्ट्रिक मशीन से करेंट भी लग जाता है, जिससे उनकी मौत हो जाती है.

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अवैध हत्या और तस्करी

कई राज्यों में गाय की हत्या जुर्म है, लेकिन लोगों को इनके बेकार होने के बाद इन्हें पालना फ़ायदे का सौदा नहीं लगता. इनकी हत्या अवैध रूप से कर दी जाती है. इनकी तस्करी कर इन्हें बूचड़खानों में पहुंचा दिया जाता है, जहां एक-दूसरे के सामने ही इन्हें काटा भी जाता है.

गाय किन हालातों में रखी जाती हैं और उनके दूध और मांस के व्यापार के लिए उनके साथ क्या-क्या किया जाता है, ये जानने के बाद किसी का भी दिल पसीज जायेगा. एक तरफ तो हम अपने स्वार्थ के लिए उनके साथ ऐसा बर्ताव कर रहे हैं और दूसरी तरफ गौरक्षा के नाम पर इंसानों की हत्या की जा रही है. ये दोहरा रवैया कोई मां के लिए तो नहीं रख सकता. ये कहना गलत नहीं होगा कि लोग गाय को केवल माता कहते हैं, मानते नहीं.