फ़ेसबुक पेज Humans Of Bombay के माध्यम से हमने कई मशहूर हस्तियों की अनसुनी कहानियां पढ़ी हैं, उसी कड़ी में अगली कहानी बॉलीवुड कलाकार बोमन ईरानी की है. 

बोमन ईरानी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. हमने बोमन को मुन्ना भाई सीरीज़, 3 इडियट्स, डॉन वगैरह जैसी सुपर हिट फ़िल्मों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते देखा है. 

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जब मुन्ना भाई MBBS आई थी तब पहली बार में डॉ. अस्थाना सबकी नज़रों में आ गए थे. दुकान के गल्ले पर बैठने से लेकर विधु विनोद चोपड़ा की फ़िल्म में कॉलज के डीन बनने तक का सफ़र भी बेहद फ़िल्मी रहा. इस कहानी को बोमन ईरानी ने ख़ुद Humans Of Bombay के साथ साझा किया. 

“पैदा होने से पहले मैं अपने पिता को खो चुका था. उनके पास एक वैफ़र की दुकान थी, और उनके जाने के बाद मेरी मां उसे संभालने लगी. मेरी बहनों को स्कूल जाना होता था. इसलिए मेरी मां मुझे मंदिर के पुजारी की पत्नी के पास छोड़कर दुकान चली जाती थीं. कई साल बीत गए मैंने उसे मुश्किल परिस्थितियों से लड़ते देखा. जल्द ही मैं भी स्कूल जाने लगा. लेकिन मुझे स्पीच और लर्निंग डिसअबिलिटीज़ थीं. मेरे भीतर हमेशा आत्मविश्वास की कमी रहती थी. मुझे याद है कि मैं अपनी स्पीच ठीक करने के लिए गाना गाता था. एक दिन मेरी मां भी मुझे गाते देखने आई और उन्होंने उन तालियों को रिकॉर्ड कर लिया जो गाने के अंत में मेरे लिए बजीं. वो बहुत तेज़ थीं, मैं हमेशा सुनता रहता था. मेरा आत्मविश्वास वापस आ गया था.” 
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इसके बाद बोमन के स्कूल का सफ़र शुरू होता है, उन्होंने विज्ञान पढ़ने के लिए दाखिला लिया था. कॉलेज में उनका सामना थियेटर के कलाकारों से हुआ. वो साथ ही साथ कला के अन्य आयामों में भी रूची लेते थे. कॉलेज में अक्सर वो थियेटर में हिस्सा लेते रहते थे. अब वो बड़े हो चुके थे, पढ़ाई से इतर उनके ऊपर घर का ख़र्च उठाने की ज़िम्मेदारी भी थी. 

‘मैं ताज होटल के मैनेजर से मिला और उससे बोला कि मैं Rooftop Restaurant में काम करना चाहता हूं. उसने मुझसे कहा, ‘टॉप पर पहुंचने के लिए, तुम्हें बॉटम से शुरू करना पड़ेगा’. इसलिए उसने मुझे रूम सर्विस का काम दिया. सिर्फ़ डेढ़ साल में मैं उस रेस्टुरेंट में वेटर बन गया.’ 

बोमन की ज़िंदगी एक आम भारतीय की ज़िंदगी की ही तरह धीमी रफ़्तार से आगे चल रही थी, इसी बीच उनकी मां के साथ एक दुर्घटना हो गई और उन्हें नौकरी छोड़ कर दुकान संभालना पड़ा. 14 सालों तक वो उस दुकान पर बैठे. इस बीच शादी भी हुई, बच्चे भी हुए. ज़िंदगी स्थिर थी हुई, लेकिन मन स्थिर नहीं था. बोमन की पत्नी ने उन्हें हौसला दिया. 

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‘मुझे फ़ोटोग्राफ़ी पसंद थी, मेरे पिता फ़ोटोग्राफ़र थे. मैंन भी हाथ आज़माया– पहले तो मुझे कोई काम नहीं मिला, लेकिन मैं लगा रहा, फिर धीरे-धीरे अच्छा करने लगा. उस वक़्त मेरे एक दोस्त ने मुझे ऑडिशन देने को कहा. मैंने भी कोशिश की और चुना भी गया. इस काम के लिए मुझे अच्छे पैसे मिले.’ 

पहली कमाई अच्छी हुई तो बोमन भी इसी ओर आगे बढ़ गए. उन्होंने कुल 180 विज्ञापनों में काम किया. इस बीच उन्हें एक शॉर्ट फ़िल्म में काम करने का ऑफ़र मिला. फ़िल्म का बजट बहुत कम था, शूटिंग भी हैंडिकैम से होना था. लेकिन ये फ़िल्म बोमन के लिए सुनहरा मौका लाने वाला था. 

‘मेरी ज़िंदगी 360 डिग्री घूम गई. फ़िल्म की एडिटिंग स्टूडियो में हुई, विधु विनोद चोपड़ा ने उसका एक क्लिप देखा. उन्होंने मुझे मिलने को कहा. जब हम मिले तो उन्होंने मुझे 2 लाख का चेक पकड़ा दिया और कहा, ‘ये पैसा आपको मेरी अगली फ़िल्म में काम करने के लिए हैं’. मैंने फ़िल्म के बारे में पूछा तो विधु ने कहा कि उन्हें ख़ुद भी नहीं पता. वो बस चाहते थे कि मैं फ़ेमस न हो जाऊं और किसी को अपनी डेट्स न दूं.’ 

यहां से मुन्नाभाई एमबीबीएस की शुरुआत होती है, 35 साल की उम्र में बोमन ईरानी की सपनों की ज़िंदगी शुरु हुई. उनके साथ कुछ ऐसा हुआ, जिसका सपना बहुत लोग देखते हैं. किस्मत से मिले मौके को बोमन ने मेहनत से जकड़ लिया. फिर आगे क्या हुआ, वो हम सब भलिभांति जानते हैं. 

बोमन की इस पूरी कहानी को आप उनकी ही ज़ुबानी Humans Of Bombay के फ़ेसबुक पेज पर पढ़ सकते हैं.