जब भी हम LGBTQ समुदाय के किसी व्यक्ति के बारे में बात करते हैं तो, हम ये ज़रूर सोचते हैं कि उसका जीवन मुश्किल रहा होगा. क्योंकि जिस तरह के समाज में हम रह रहे हैं उसकी चुनौतियों से हम सभी परिचित हैं. लेकिन हम कभी ये नहीं सोचते कि हम भी उसी समाज का हिस्सा हैं और ये संभव है कि हमने भी अपने आसपास किसी व्यक्ति को ‘मज़ाक’ में या फिर अनजाने में हर्ट किया होगा. 

पढ़िए अन्वेष की कहानी, जो उसके अपने भीतर की लड़ाइयों के अलावा बताती है कि कई बार हमारी बेहद छोटी बातें किसी के जीवन पर कितना गहरा असर डाल सकती हैं. 

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जब मैं स्कूल में था तो अपने दोस्त के घर ट्यूशन के लिए जाता था. जितनी बार भी मैं उसके घर जाता था, उतनी बार उसकी मां मुझे ये कहकर चिढ़ाती और हंसती थी कि अन्वेष गलती से लड़का बन गया है जबकि उसे एक लड़की होना चाहिए था. मझे बहुत बुरा लगता था. उनके शब्द मुझे इस बात का एहसास करवाते थे कि मैं कोई हंसी का पात्र हूं, मैं अधूरा हूं, जो न तो पुरुष था और न ही महिला. स्कूल में बच्चे मेरे लड़कियों जैसे व्यवहार का मज़ाक बनाते थे. कभी-कभी ऐसा भी होता था कि मैं बाकी लड़कों की तरह स्पोर्ट्स में दिलचस्पी दिखाने का नाटक भी करता था जबकि मेरी असल में दिलचस्पी आर्ट्स में होती थी. केवल अपने घर पर किताबों के साथ ही मुझे सुकून मिलता था. किताबें कभी भी मुझे उस नज़र से नहीं देखती थीं, जिस नज़र से बाकी सब देखते थे या मुझे मेरे व्यक्तित्व के लिए जज करते थे. 
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जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, मैं और अधिक जिज्ञासु होता गया और मैंने तय कर लिया था कि मैं जानना चाहता हूं कि मैं एक व्यक्ति के रूप में क्या हो सकता हूं. मैं अपनी बहन के एक दोस्त से मिला जिसने खुल कर सबको बताया कि वो Gay है. इस बात ने मुझे आज़ाद महसूस करवाया. एक ऐसी आज़ादी जो मैं ढूंढ रहा था. मुझे लड़कियों के साथ घूमना -फिरना अच्छा लगता था बजाय लड़कों के. मुझे अपने कानों में छेद करवाना था, मुझे मेकअप करना पसंद है. मुझे स्केचिंग, गाने और नाचने का भी शौक है. मैं जेंडर और लिंग-भेद के बारे में और जानने के लिए शोज़ देखने लगा. इंटरनेट पर Queerness और Homosexuality के बारे में पढ़ने लगा.समय के साथ, जैसे जैसे मैं ख़ुद की इज़्ज़त करने लगा, दूसरों की राय मेरे लिए कम मायने रखने लगी. मैं बिना किसी के डर के अपनी Sexuality के बारे में खुले तौर पर बाहर आया. मैं बिना किसी डर के, खुलकर लोगों के सामने आया, ये जानते हुए कि मैं सिर्फ अपनी सेक्शुएलिटी नहीं हूं और मुझे अपने होने पर गर्व है.  

अगली बार जज करने से पहले ज़रूर सोचें.