बढ़ता प्रदूषण देश और दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या बन चुका है. पूरी दुनिया में इससे निजात पाने के लिए आये दिन तरह-तरह के उपाए खोजे जा रहे है. व्यापक रूप से जागरूकता अभियान भी चलाये जा रहे हैं. लेकिन ये समस्या कम होने के बजाये बढ़ती जा रही है. अगर बात करें देश की राजधानी दिल्ली की, तो दिल्ली निवासी सचमुच शहर की जहरीली हवा के दुष्प्रभावों को हड्डियों और जोड़ों के दर्द के रूप में महसूस कर पा रहे हैं.
दिल्ली के AIIMS हॉस्पिटल के डॉक्टर्स का कहना है कि ये एक मजबूत संकेत है कि प्रदूषण के कारण Autoimmune Diseases (स्व-प्रतिरक्षित रोगों) जैसे Rheumatoid Arthritis या Rheumatic (गठिया रोग) में 20% की बढ़ोतरी देखी गई है. और जैसे-जैसे सर्दी बढ़ेगी, इन रोगों के बढ़ने की सम्भावना भी अधिक हो जायेगी.
आज गुरुवार को World Arthritis Day, जिसकी थीम It’s In Your Hands, Take Action’ रखी गई, के मौके पर AIIMS हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने गठिया और Musculoskeletal रोगों (RMDs) के बारे में लोगों को जागरूक किया. इसके साथ ही डॉक्टर्स ने इन रोगों से ग्रसित मरीजों को इस से लड़ने और इसके उपचार करने के लिए प्रोत्साहित किया. ताकि वो RMDs से पीड़ित लोगों की ज़िन्दगी में सुधार और गुणवत्ता लाएं. दिल्ली के इस संस्थान में इस डिसऑर्डर से ग्रसित करीब 24,000 मरीज़ आ चुके हैं और अभी आने वाले 6 महीनों में और नए मरीज़ आएंगे.
Rheumatoid Arthritis यानी कि रुमेटी आर्थराइटिस, गठिया का ही एक आम रूप है, जो एक प्रकार का ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है. इसकी शुरुआत तब होती है, जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली आपकी बॉडी के टिशूज़ या ऊतकों पर प्रभाव डालती है. इस वजह से सिनोवियम, आपके जोड़ो में पाए जाना वाला नर्म टिशू होता है, पर प्रभाव पड़ता है. सिवोवियम बॉडी में ऐसे तरल पदार्थ को बनाता है, जिससे कार्टिलेज को पोषण और जोड़ों को चिकनाई मिलती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रुमेटी गठिया सिवोवियम की ही एक बीमारी है, जोड़ो पर अटैक कर उन्हें कमज़ोर कर देती है. विशेषज्ञों की मानें तो, जीन, हार्मोन, आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारण रुमेटी आर्थराइटिस का ख़तरा 10 गुना बढ़ जाता है.
AIIMS में इस डिसऑर्डर से पीड़ित मरीज़ों पर एक अध्ययन किया गया था. बाद में उस अध्ययन की रिपोर्ट को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा प्रदान की गई हवा की गुणवत्ता और डेटा के साथ मैच किया गया. इस स्टडी के निष्कर्ष बताते हैं कि जब दिल्ली में प्रदूषण उच्च स्तर पर था, तब इस रोग के मरीज़ों की संख्या में अचानक से वृद्धि हुई थी. हमने नई दिल्ली में आईएमडी से पिछले कुछ सालों के वायु की गुणवत्ता के आंकड़ों को इकठ्ठा किया और फिर उन रोगियों के साथ उनको मैच कराया, जो AIIMS में इस डिसऑर्डर का इलाज करा रहे हैं.
AIIMS के प्रोफेसर और रुमेटोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड, डॉ उमा कुमार, ने बताया कि इससे पता चला कि जब एक ख़ास प्रकार के प्रदूषण के कणों का स्तर यहां की हवा में बहुत ज़्यादा था.उस वक़्त इन रोगियों में बीमारी की गतिविधि को बहुत ज़्यादा पाया गया था.
इसके साथ ही डॉक्टर कुमार ने कहा, ‘इस तरह का वायु प्रदूषण न केवल सांस की बीमारियों के लिए जिम्मेदार है, बल्कि ये Autoimmune Diseases प्रमुख कारण है. उन्होंने ये भी बताया कि दीवाली सेलिब्रेशन के बाद इस बीमारी के रोगियों की हालत ज़्यादा ख़राब हो जाती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) सहित कई अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा राजधानी दिल्ली की हवा की क्वालिटी को दुनिया में सबसे ख़राब माना गया है. इसकी मुख्य वजह रोज़ाना सड़कों पर चलने वाले लाखों वाहन, बड़े-बड़े कारखानों से निकलने वाला धुंआं, साथ ही साथ पड़ोसी राज्यों में फसल कटने के बाद बचे हुए अवशेष को जलाने से होने वाला धुंआ है. इन सभी मुख्य कारणों की वजह से हवा में प्रदूषण के छोटे-छोटे कण बनते हैं, जो प्रदूषित बादलों का रूप लेते हैं. और इनसे बनने वाली धुंध को स्मोग भी कहा जाता है. ये स्मोग स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक होता है. बूढ़े क्या बच्चे भी इसकी वजह से गठिया जैसे बीमारी का शिकार हो रहे हैं.
Rheumatoid Arthritis के कारण शरीर में होने वाली सूजन की वजह से Premature Atherosclerosis, हाइपरटेंशन के साथ-साथ Coronary Artery Disease (धमनी की बीमारी) और स्ट्रोक्स को बढ़ाती है. इतना ही नहीं ये रोगी की उम्र को 10 साल तक कम कर देता है.
इस डिसऑर्डर का प्रमुख कारण किसी प्रकार की विकलांगता और फ़ैमिली का दवाब भी होता है. RA और Diabetes (मधुमेह) से पीड़ित 300 रोगियों पर किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि पांच में से तीन रोगियों को इसके अलावा भी कोई न कोई दूसरी बीमारी भी है.
डॉक्टर कुमार ने बताया, ‘जिन मरीज़ों पर ये अध्ययनकिया गया था वो 18 से 60 वर्ष की उम्र के थे, जो देखभाल करने वालों के साथ रह रहे थे. उन्होंने ये भी बताया कि RA के रोगियों में बीमारी का बोझ अधिक है, जो कि सांख्यिकीय रूप से बेहद महत्वपूर्ण और सोचनीय है.’
अगर अभी भी प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित नहीं किया गया, तो आने वाले दिनों में इसके परिणाम बहुत ख़तरनाक साबित होंगे. वर्तमान में दिल्ली में वायु प्रदूषण इतना बढ़ चुका है कि मानो यहां पर लोग किसी ख़तरनाक गैस चेंबर में सांस ले रहे हों. तो आप खुद ही सोचिये कि आने वाले समय में क्या हो सकता है.