भगवान की राम की नगरी ‘अयोध्या’ का नाम अकसर राजनीतिक कारणों से चर्चा में रहता है. एक बार फिर प्रभु राम की जन्मनगरी अयोध्या लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है. फ़र्क सिर्फ़ इतना है कि इस बार कारण राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि कोरिया है.

ये जानने के बाद आप भी सोच रहे होंगे, भला अयोध्या का कनेक्शन कोरिया से कैसे हो सकता है? आज से लगभग दो हज़ार साल पहले हुई एक शादी ने अयोध्या का रिश्ता हज़ारों मील दूर स्थित कोरिया से जोड़ दिया था.

क्या है मामला?

भगवान राम को जब वनवास हुआ था, तो 14 साल बाद उनकी घर वापसी हो गई थी, लेकिन अयोध्या की ऐसी राजकुमारी है, जो अयोध्या से कोरिया तो पहुंच गई लेकिन वहां से वापिस लौट कर कभी नहीं आ पाई. धर्म नगरी अयोध्या हर साल सैकड़ों कोरियाई लोगों की मेज़बानी करता है. ये लोग भारत में लीजेंडरी क्वीन Heo Hwang-ok को श्रद्धांजलि देने आते हैं.

ऐसा माना जाता है, राजकुमारी अयोध्या से कोरिया की यात्रा पर गईं थी. समुद्र यात्रा पर जाते वक़्त राजकुमारी अपने साथ नाव का बैलेंस बनाने के लिए एक पत्थर लेकर भी गई थी. किमहये शहर में राजकुमारी Heo की प्रतिमा भी है. महापुरुषों के मुताबिक, वो इस पत्थर के सहारे सुरक्षित कोरिया पहुंच गई थी. इतना ही नहीं, कोरिया पहुंचने के बाद वो Geumgwan के King Suro की पहली रानी भी बन गई थी, जब राजा Suro की शादी हुई, उस वक़्त वो महज़ 16 साल के थे. यही कारण है कि कोरिया के 70 लाख से भी ज़्यादा लोग अयोध्या को अपनी मातृभूमि मानते हैं.

कोरिया के ज़्यादातर लोगों के मुताबिक, रानी Heo ने ही 7वीं शताब्दी में कोरिया के विभिन्न राजघरानों की स्थापना की थी. इनके वंशजों को कारक वंश का नाम दिया गया है, जो कि कोरिया समेत विश्व के अलग-अलग देशों में उच्च पदों पर आसीन हैं.

इस मामले के बारे में Hanyang University के प्रोफ़ेसर Byung Mo Kim का कहना है, ‘हमारी रानी अयोध्या की बेटी थी, इसलिए अयोध्या हमारी मां हुई. कोरिया के दो-तिहाई से अधिक लोग इनके वंशज हैं.

कोरिया और अयोध्या के कनेक्शन के प्रमाण के बारे में बताते हुए प्रोफ़ेसर ने कहा, ‘इसका जीता-जागता सबूत है, जुड़वा मछली का पत्थर, जिसे राजकुमारी का कहा जाता है. वो अयोध्या का प्रतीक चिन्ह है.’

आगे प्रोफ़ेसर कहते हैं, ‘मैं अपने जीन को अयोध्या के शाही परिवार से साझा करता हूं. दोनों देशों के बीच कारोबार ही नहीं, बल्कि जीन का भी संबंध है. अयोध्या की राजकुमारी की शादी कोरिया के राजा से हुई.’ कथा के अनुसार, रानी की मृत्यु 157 वर्ष की आयु में हुई थी.

Source : speakingtree