कहते हैं न, प्यार का न ही कोई रंग होता है, न ही कोई रूप. प्यार तो निश्छल, निर्मल और निरंकुश होता है. प्यार महिला और पुरुष में भेद नहीं करता, तो फिर हम क्यों करते हैं? मुंबई की आर्टिस्ट, गीता पारुलेकर ने ताश के पत्तों से प्रेरणा ले कर कुछ पोस्टर्स डिज़ाइन किये हैं, जिनका सन्देश ये है कि प्यार का कोई लिंग नहीं होता.
गीता ने ये पोस्टर्स NAZ Foundation संस्था, जो कि भारत में HIV/AIDS की जागरूकता के लिए काम करती है, के सहयोग से बनाए हैं. इनके द्वारा वो लोगों को LGBT कम्युनिटी के मूल अधिकारों के बारे में भी बताना चाहती हैं कि प्यार करने का हक़ सबको है.