विश्व के सबसे बड़े ‘योगीराज’ कहलाने वाले संत श्यामाचरण लाहड़ी ने एक बाबा से शिक्षा लेकर योग का मार्ग अपनाया था, जिन्हें महावतार बाबा के नाम से जाना जाता है. संत श्यामाचरण लाहड़ी ने ही गृहस्थ लोगों के बीच क्रियायोग को लोकप्रिय बनाने का काम किया था. उन्होंने साधना के नियमों को सरल बनाया, ताकि अपने कामों के बीच साधना मार्ग पर चल कर लोग परमात्मा को जान सकें.
आदि शंकराचार्य, संत श्यामाचरण लाहड़ी और संत कबीर को शिक्षा देने वाले महान महावतार बाबा के बारे में कुछ ऐसे तथ्य हैं, जो साबित करते हैं कि वो वाकयी एक दिव्य शक्ति हैं. आज हम आपको यही तथ्य बता रहे हैं:
1. दुनिया में सबसे ज़्यादा बिकने वाली आध्यात्मिक आत्मकथा, ‘ऑटोबायोग्राफ़ी ऑफ़ अ योगी’ के लेखक परमहंस योगानंद ने इस किताब में महावतार बाबा के बारे लिखा है. परमहंस योगानंद के गुरु श्यामाचरण लाहड़ी थे.
2. उन्होंने ही लाहड़ी को क्रियायोग की शिक्षा दी थी, जिसके बारे में गीता में भगवान श्रीकृष्ण और योगसूत्र में ऋषि पतंजलि ने बताया है.
3. महावतार बाबा को श्यामाचरण लाहड़ी ने अपने पूर्वजन्म का गुरु माना था.
4. श्यामाचरण लाहड़ी को पर्वतीय क्षेत्र के भ्रमण के दौरान महावतार बाबा दिखाई दिए थे. उन्होंने ही उन्हें क्रियायोग का मार्ग गृहस्थों को दिखाने का आदेश दिया था.
5. महाअवतार बाबा ने ही लाहड़ी को बताया था कि कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया योग का ज्ञान ही क्रियायोग है.
6. एक दिन लाहड़ी रेल की पटरी बिछवा रहे थे, तभी उन्हें किसी के पुकारने की आवाज़ आई, जब वो उस आवाज़ के पीछे गए, तो उन्हें महाअवतार बाबा के दर्शन हुए थे.
7. महाअवतार बाबा ने लाहड़ी से कहा था कि उनकी पिछले जन्म की साधना अधूरी रह गई थी, जिसे पूरा करने का समय आ गया है. उन्होंने प्रमाण के तौर पर उन्हें पिछले जन्म का आसन, चटाई और अन्य सामान भी दिखाए थे.
8. परमहंस योगानन्द ने भी अपनी किताब में बाबा के साथ अपनी प्रत्यक्ष भेट के बारे में बताया है.
9. श्री युक्तेश्वर गिरि की पुस्तक ‘द होली साइंस’ में भी उनका प्रत्यक्ष वर्णन मिलता है.
10. बाबा ने किसी को भी अपना नाम या पृष्ठभूमि नहीं बतायी, इसलिए उन्हें महावतार का नाम दिया गया.
11. उन्हें 1861 से 1935 के दौरान कई गवाहों द्वारा देखा.
12. लाहिड़ी ने अपनी डायरी में लिखा था कि महावतार बाबाजी भगवान कृष्ण के अवतार थे.
13. जो भी उनसे जब भी मिला, उसने हमेशा उनकी उम्र 25-30 वर्ष ही बताई.
14. उनकी चमत्कारी शक्तियों के बारे में भी कुछ किस्से प्रचलित हैं, कहा जाता है कि एक बार उन्होंने पहाड़ से कूद कर जान देने वाले एक शिष्य के क्षत-विक्षत शव को छू कर दोबारा जीवित कर दिया था.
15. बाबाजी अप्रकट और गुप्त रहना पसंद करते हैं, लेकिन कभी-कभी भक्तों और शिष्यों को उनके दर्शन भी होते हैं.