महमूद गज़नवी के बारे में तो आपने सुना ही होगा. ये वही क्रूर शासक था जिसने भारत को 17 बार लूटा. महमूद ग़ज़नवी के आक्रमण और लूटमार के काले कारनामों से तत्कालीन ऐतिहासिक ग्रंथों के पन्ने भरे पड़े हैं.
महमूद ग़ज़नवी यमीनी वंश के तुर्क सरदार व ग़ज़नी के शासक सुबुक्तगीन का पुत्र था. महमूद ग़ज़नवी का जन्म 971 ई. में हुआ था. अपने शौर्य और कौशल के चलते वो मात्र 27 वर्ष की आयु में ग़ज़नी सेनाध्यक्ष बन गया था. इसके बाद ग़ज़नवी ने मध्य अफ़ग़ानिस्तान का शासक बना.
तुर्किस मूल का ग़ज़नवी अपने समकालीन और बाद के तुर्कों की तरह एक सुन्नी इस्लामी साम्राज्य बनाने में सफ़ल रहा. महमूद ग़ज़नवी के द्वारा जीते गए प्रदेशों में आज का पूर्वी ईरान व अफ़गानिस्तान जबकि मध्य एशिया की बात करें तो ख़ोरासान पाकिस्तान और उत्तर पश्चिम भारत शामिल हैं.
महमूद ग़ज़नवी बचपन से भारत की अपार समृद्धि और धन-दौलत के विषय में सुनता रहा था. वो अक्सर भारत की दौलत को लूटकर मालामाल होने के सपने देखा करता था. इसके बाद उसने अपने सपने को असल में साकार भी किया.
महमूद ग़ज़नवी के आक्रमणों का ये सिलसिला 1001 ई. से आरंभ हुआ. इस दौरान ग़ज़नवी ने 17 बार भारत पर आक्रमण किया और यहां की अपार सम्पत्ति को लूट कर ग़ज़नी ले गया.
जब ग़ज़नवी ने तोड़ डाला था शिवलिंग
लूट के इरादे से महमूद ग़ज़नवी ने सबसे बड़ा आक्रमण 1026 ई. में काठियावाड़ के सोमनाथ मंदिर पर किया था. चालुक्य वंश का भीम प्रथम उस समय काठियावाड़ का शासक हुआ करता था. ग़ज़नवी बेहद ताक़तवर था इसलिए आक्रमण की सूचना मिलते ही भीम प्रथम डर के मारे भाग गया. इस दौरान ग़ज़नवी ने सिर्फ़ सोमनाथ मंदिर को तोड़ा, बल्कि शिवलिंग को भी तहस-नहस कर दिया था.
इस दौरान ग़ज़नवी ने सोमनाथ मंदिर के हज़ारों लोगों व पुजारियों को भी मौत के घाट उतार दिया था. इसके बाद वो मंदिर का सारा सोना और ख़ज़ाना लूटकर ले गया. इस दौरान महमूद ग़ज़नवी के आक्रमणों से भारत के राजा बेहद ग़रीब हो चले थे. ग़ज़नवी ने भारत पर अंतिम आक्रमण 1027 ई. में किया था जब उसने पंजाब को अपने राज्य में मिला लिया था और लाहौर का नाम बदलकर महमूदपुर कर दिया था. ।
लेकिन क्या आप जानते हैं इस क्रूर आक्रमणकारी की मृत्यु कब कैसे और हुई थी? नहीं मालूम! तो चलिए हम बताते हैं.
इतिहासकार बताते हैं कि अपने अंतिम समय में महमूद ग़ज़नवी कई तरह के रोगों से पीड़ित होकर असहनीय कष्ट से जूझ रहा था. कहा जाता है कि अपने दुष्कर्मों को याद कर उसे घोर मानसिक बीमारी हो गयी थी. वो शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से ग्रसित था. क़रीब 3 साल तक वो इसी दर्द में जीता रहा. आख़िरकार 30 अप्रैल सन 1030 को उसकी मलेरिया के कारण मृत्यु हो गई.