‘एक सोल्जर कभी छुट्टी पर नहीं होता’, ये कहावत इंडियन आर्मी के मेजर हेमंत राज पर बिल्कुल फ़िट बैठती है. ये तो आप सभी जानते ही हैं कि बीते 8 अगस्त को आयी बाढ़ ने केरल जैसे समृद्ध राज्य को तहस-नहस कर दिया. केरल पर आयी इस विपदा से अंजान मेजर ‘ओणम’ मानने के लिए अपने घर आ रहे थे.
IANS से बात करते हुए हेमंत बताते हैं कि ‘मैं ओणम सेलिब्रेशन को लेकर काफ़ी उत्साहित था. 18 अगस्त से मैं छुट्टी पर था और इसी दिन दिल्ली से कोच्चि के लिए मेरी फ़्लाइट थी. दिल्ली पहुंचने पर मुझे पता चला कि केरल बाढ़ में डूबा हुआ है और मेरा परिवार भी राहत कैंप में है. साथ ही कोच्चि जाने वाली फ़्लाइट रद्द कर दी गई है.’
सेना की 28 मद्रास सप्त शक्ति कमांड में मेजर पोस्ट पर तैनात हेमंत राज ने इंडिगो के अधिकारियों से निवेदन किया कि वो उन्हें तिरुवनंतपुरम की फ़्लाइट में जाने दें, क्योंकि वो इस मुश्किल वक़्त में केरलवासियों की मदद करना चाहते हैं. वहीं अधिकारियों ने मेजर की वर्दी का सम्मान किया और 19 अगस्त रात के करीब दो बजे वो तिरुवनंतपुरम पहुंच गए. इसके बाद उन्होंने एयरफ़ोर्स के अधिकारियों से बात की और उन्हें चेंगन्नूर तक पहुंचाने का अनुरोध किया. चेंगन्नूर पहुंचते ही मेजर को पता चला कि सड़कें बाढ़ में बह गई हैं और अंदर जाने का कोई भी रास्ता नहीं बचा है.
A Soldier is never off duty. Maj Hemant Raj 28 MADRAS Sapth Shakti Comd #IndianArmy flew to Kerela on leave. Imdtly threw himself into #KeralaFloodRelief work. Organised team of Defence persons on leave,veterans & local fishermen boats to help marooned people. Working tirelessly. pic.twitter.com/v1kzbRYHEP
— PRO Defence Rajasthan (@PRODefRjsthn) August 22, 2018
हेमंत के मुताबिक, राज्य सरकार को चेंगन्नूर के डूबने की कोई जानकारी नहीं थी. वहीं हेलिपेड के पास स्थित एक कॉलेज में राहत कैंप बनाया गया था, उनका परिवार भी उसी राहत कैंप में ठहरा हुआ था. हालात इतने ख़राब थे कि वहां किसी भी मोबाइल फ़ोन का नेटवर्क काम नहीं कर रहा था. ऐसे में मेजर ने कुछ रिटार्यड कर्मचारियों और स्टूडेंट्स से संपर्क कर चेंगन्नूर को कमांड सेंटर बनाया.
ऐसे की लोगों की मदद
कठिन हालातों का ज़िक्र करते हुए वो आगे बताते हैं कि ‘मैंने छात्रों और अन्य लोगों को मिला कर करीब 35 लोगों की एक टीम बनाई. स्टूडेंट्स के पास उनके लैपटॉप थे, जिसके साथ हमने वहीं पर ऑपरेशन सेंटर बनाया. इसके बाद हमने उन जगहों का पता लगाना शुरू किया, जहां लोगों को मदद की ज़रूरत थी. मुझे इस तरह काम करते हुए देख कुछ लोगों ने मेरी तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी. इस फ़ोटो पर मेरी पत्नी की नज़र पड़ी और इस तरह उसे मेरे बारे में जानकारी मिली.’
इकट्ठा की 10 टन खाद्य सामग्री
महज़ तीन दिनों के अंदर मेजर और उनकी टीम ने हर दिन लगभग 10 टन खाद्य सामग्री जमा की. इसके बाद उस सामग्री को पहुंचाने में मदद की स्क्वॉड्रन लीटर अंशा ने. इसके साथ ही उन्होंने रेडियो जॉकी अंजली उथुप की मदद से लोगों से पावर बैंक और हाई पावर बोट्स लाने की अपील की, जिससे उनकी टीम को काम करने में कोई दिक्कत न हो और मेजर की इसी कोशिश ने बाढ़ में फंसी सैकड़ों ज़िंदगियों को बचा लिया.
मेजर हेमंत का परिवार भी उसी बाढ़ में फंसा था. ऐसे में सिर्फ़ अपने परिवार के बारे में न सोचते हुए, उन्होंने निस्वार्थ भाव से अन्य लोगों की सहायता की. देश के इस सैनिक की हिम्मत और कोशिश के लिए हमारी पूरी टीम की तरफ़ से उन्हें सलाम!
Source : Indiatimes