इस दुनिया में कब, कहां और क्या हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता. कहीं रेगिस्तान में बर्फ़बारी हो जाती है, तो कहीं पानी में आग लग जाती है (हां ये जलवायु परिवर्तन का नतीजा है) और कहीं दफ़नाए गए इंसान वापस लौट आते हैं.

केरल के एक परिवार के पैरों तले तब ज़मीन ख़िसक गई जब उनके परिवार का एक सदस्य दफ़नाने के बाद ज़िन्दा हो गया.

48 वर्षी साजी 3 सितंबर को घर से निकला और उस दिन के बाद से उसने अपने परिवारवालों से कोई बात नहीं की. उसकी मां और छोटे भाई ने बैराक्कुप्पा में पाए गए एक मृत देह की ग़लत शिनाख़्त की.

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परिवारवालों ने रीति-रिवाज़ों के हिसाब से उस मृत देह का अंतिम संस्कार भी कर दिया.

साजी ने कहा,

मेरा भाई, सुनील मुझे कन्नुर के पानामाराम बस स्टैंड पर देखकर चौंक गया. तब मुझे पता चला की परिवारवालों ने मुझे मरा समझ लिया था.

साजी कन्नुर में ही मज़दूरी कर रहा था और परिवार से बातचीत नहीं कर पाया था.

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साजी के भाई जीनेश ने कहा,

उस लाश का चेहरा पूरी तरह बिगड़ चुका था. उस पर एक सर्जरी का निशान था और साजी के भी पैरा का ऑपरेशन हुआ था. उसके कपड़े और चप्पल भी साजी से मिलते-जुलते थे. कुछ लोगों ने हमसे कहा भी था कि उन्होंने साजी को बैराक्कुप्पा जंगल के आस-पास देखा था.

जिस गिरिजाघर की ज़मीन पर उस लाश को रीति-रिवाज़ के साथ दफ़नाया गया था, वहां के अधिकारियों उस लाश को हटाने की मांग कर रहे हैं.

अजब धरती के गज़ब क़िस्से!