अच्छी तस्वीरें तो सबको पसंद आती हैं. लेकिन कभी-कभी कुछ तस्वीरें ऐसी होती हैं, जो भले ही देखने में आपको अच्छी न लगें, लेकिन हकीक़त तो यही है कि ये तस्वीरें ही दुनिया के यथार्थ को सामने लाने का काम करती हैं. दरअसल, न्यूयॉर्क बेस्ड फ़ोटोग्राफ़र Donato Di Camillo खुद से सीखे हुए एक पेशेवर फ़ोटोग्राफ़र हैं, जिन्हें न्यूयॉर्क शहर में अलग-सी तस्वीरें लेने के लिए जाना जाता है. इन्होंने जेल में रह कर ही सीखा है कि असामान्य जगहों पर कैमरे को कैसे हैंडल किया जाता है. इन्होंने जेल में रह कर जिन चीज़ों का अनुभव किया है, ग्लैमरस दुनिया से कोसों दूर रह कर जिस तरह के जीवन को जिया है, अब जेल से निकलने के बाद उसे अपनी फ़ोटोग्राफी से दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. वे चकाचौंध और ग्लैमरस लाइफ से इतर दुनिया की उस सच्चाई को भी दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे लोग जाने-अनजाने अनदेखा कर देते हैं. अब ये लोगों को दुनिया की एक अलग तस्वीर दिखा रहे हैं, जो देखने में थोड़ी अजीब तो लगेगी, लेकिन सच्चाई यही है.

फोटोग्राफर Donato Di Camillo स्ट्रीट फोटोग्राफी के ज़रिये बहुत कुछ दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. वे दुनिया को उसी रूप में दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, जैसी वो हकीक़त में दिखती है. इनकी फोटोज़ की ये श्रृंखला “People on the Fringes of Society,” के बारे में है. तो चलिए आप भी देखिये इन तस्वीरों को, शायद आपको ग्लैमरस और रंगीन दुनिया के अलावा यह दुनिया भी दिखेगी.

1. इनकी आंखें खौफ़नाक नहीं, बल्कि इनकी आंखों में खौफ़ है.

2. सामाजिक बदलाव की राह देखती ये आंखें.

3. हर इंसान के लिए सुंदरता की अलग-अलग परिभाषा होती है.

4. 91 साल की ‘यंग’ टीचर हर रोज़ व्यायाम करती हैं.

5. दो पंछी उन्मुक्त गगन के.

6. लाइट, कैमरा, एक्शन.

7. गर सुंदरता का दीदार हो गया हो, तो ज़रा एक नज़र इधर भी.

8. रंग हुआ बदरंग

9. जहां लोग खुले तन में होते हैं, वहां एक बंधन में जकड़ा तन-मन

10. ये भी इसी दुनिया के जीव हैं.

11. उम्र पचपन की, दिल बचपन का.

12. जलवा…मेरा ही जलवा.

13. ज़ोर लगा के हईशा…

14. ये अपनी ही दुनिया है जनाब.

15. नयन सुख हो गया हो, तो ज़रा इन्हें भी देख लो.

16. ज़िंदगी… कैसी है पहेली.

17. इस रूप में देखना तो शायद ही आप पसंद करेंगे.

18. इस ज़ालिम दुनिया से नज़र मिलाऊं कैसे?

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं. ये तस्वीरें सिक्के की ही तरह दुनिया के दो पहलुओं में से एक पहलू की हैं. सोचने की बात है कि हम एक पहलू को काफ़ी शिद्दत के साथ देखना चाहते हैं, लेकिन जो हमारी एक और कड़वी सच्चाई है, उसे देखने की चाहत भी नहीं रखते हैं और न ही फ़ोटोग्राफ़र्स ग्लैमर की चकाचौंध भरी दुनिया के अलावा कुछ और दिखाने की कोशिश करते हैं.