‘मराठा मंदिर’ थिएटर अब लगभग खाली रहता है, यहां पर कुछ स्कूल बंक कर के आये स्टूडेंट दिख जाते हैं बस. ये वो थिएटर है जहां पिछले 22 सालों से फ़िल्म ‘दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ लगी हुई है.

ये पुराना हो चुका थिएटर अब भी अच्छे से मेंटेंड है और ऊपर पुराने स्टाइल के कुछ झूमर भी लटके हुए हैं. मनोज देसाई इस सिंगल स्क्रीन थिएटर के एग्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर हैं.

1000 हफ़्तों से भी ज़्यादा समय से यहां DDLJ फ़िल्म लगी हुई है. 22 सालों में केवल एक बार फ़िल्म का शो कैंसल किया गया है.

जगजीवन मरू इस फ़िल्म को रिलीज़ होने के बाद से ही मराठा मंदिर में चला रहे हैं. 45 साल से वो प्रोजेक्शन रूम में ऑपरेटर के तौर पर काम कर रहे हैं. फ़िल्म के लिए अपना प्यार जताते हुए वो कहते हैं कि ये एक परफ़ेक्ट फ़िल्म है जिसे किसी के साथ भी देखा जा सकता है.

वो कहते हैं कि जैसे एक पिता अपनी बेटी की शादी कर के उसे हमेशा ससुराल में रहने के लिए भेज देता है, उसी तरह DDLJ उनके पास रहने के लिए आई है. आज भी वीकेंड्स में 11:30 के मैटिनी शो में लगभग आधा थिएटर भरा हुआ होता है.

यहां फ़िल्म देखने आने वाले ज़्यादतर लोग टूरिस्ट होते हैं, ये जगह मुंबई सेंट्रल स्टेशन से पास ही है. स्टेशन में काम करने वाले कई कुली भी यहां फ़िल्म देखने आते हैं. कई टैक्सी ड्राईवर भी चैन से सोने के लिए यहां आ जाते हैं. ये भी एक रिकॉर्ड है कि इस थिएटर में आजतक किसी महिला ने अपने साथ बदतमीज़ी होने की शिकायत नहीं की है.

जब मरू एक साल के थे, तब गुजरात के जूनागढ़ से मुंबई आ गए थे. सालों से वो यहीं रोज़ लोगों को फ़िल्म दिखाते हैं. आज भी इस थिएटर में टिकट 15, 20 और 25 रुपये का है. 67 वर्षीय मरू पर ‘बड़े टीवी वाला’ नाम की एक डाक्यूमेंट्री भी बनायी गयी है.